नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन भले ही पाकिस्तान की कैद से छूटकर भारत आ गए हों लेकिन अभी भी कई ऐसे अभिनंदन पाकिस्तान की जेलों में भयंकर यातनाएं सह रहे हैं। कुछ को भले ही पाकिस्तना ने छोड़ दिया हो लेकिन उन्हें इतनी यातनाएं दीं कि वो मानसिक संतुलन तक खो बैठे हैं। इन्ही में से एक हैं फरीदपुर तहसील के पढेरा गाँव का रहने वाला यशपाल। यशपाल गलती से बॉर्डर पार कर गए थे जहां उनको पाकिस्तान सेना ने अपनी हिरासत में ले लिया। उसके बाद उनपर शुरू हुआ जुल्मों सितम का दौर। पाकिस्तान की जेल में उन पर इतने अत्याचार हुए कि वो अपनी याददाश्त ही खो बैठे। वो अभी तक सामान्य नहीं हो पाया है। उनका अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
यशपाल 2009 में गांव के अन्य लोगों के साथ दिल्ली मज़दूरी करने गया था लेकिन मजदूरी न मिलने पर वो रिक्शा चलाने लगा और वो दिल्ली में किसी ट्रेन में गलती से बैठ गया और भटक कर पाकिस्तान के बॉर्डर पहुंच गया जिसके कारण सीमा उल्लंघन के चलते उसे पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में डाल दिया गया। हालांकि बाद में कुछ समाजसेवियों की पहल के बाद उनकी रिहाई हो गई।
2013 में यशपाल घर तो लौट आया पर उसकी याददाश्त न लौट सकी। उस पर पाकिस्तान की जेलों में इतने जुल्म ढाए गए कि उसकी याददाश्त चली गई उसे यह भी याद नहीं कि वह पाकिस्तान कैसे पंहुचा जब वह पाकिस्तान पहुंचा था तब उसका मानसिक संतुलन ठीक था, क्योंकि उसने जेल में अपना नाम-पता ठीक लिखाया था।जिसके आधार पर ही उसकी वापसी हो सकी थी। यशपाल का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था जिसके कारण उसका बरेली के मानसिक अस्पताल में इलाज भी किया गया लेकिन अभी भी वो सामान्य नहीं हो पाया है। यशपाल पर पाक की जेल में इतने जुल्म हुए कि वो अपना नाम तक भूल गया था।