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मध्यस्थता से हल होगा अयोध्या विवाद, तीन सदस्यीय कमेटी का SC ने किया गठन

अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल मध्यस्थता के जरिए निकाला जाए। इस केस की मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया। मध्यस्थों में रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला के साथ श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ तौर पर हिदायत दी है कि इस समिति से संबंधित हर जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा और इसकी मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में क्या प्रगति रही इसकी रिपोर्ट चार हफ्ते में दिए जाने का आदेश दिया है। मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभन्न पक्षों को सुना था। जिसपर पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिए सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बहुत जल्द आदेश दिया जाएगा।

निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था, जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार पर अपना समर्थन दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था।

आपको बता दें कि दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के तहत कोर्ट अयोध्या केस में ज़मीनी विवाद को अदालत के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने को कह सकता है। कानून के जानकारों के अनुसार जमीनी विवाद को सुलझाने के लिए सभी पक्षों की सहमति जरूरी है, अगर कोई पक्ष इस समझौते से तैयार नहीं होता तो अदालत लंबित याचिका पर सुनवाई करेगा।

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Prarthana Srivastava