रविवार रात 63 वर्ष की उम्र में मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा को लेकर सियासी उलझनों के बीच प्रमोद सावंत को सीएम पद के लिए आधी रात में शपथ समारोह हुआ। रात करीब एक बजकर पचास मिनट पर प्रमोद सावंत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही गोवा में नई सरकार का गठन हो गया। गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने प्रमोद सावंत और उनके कैबिनेट को पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई।
Pramod Sawant: Party has given me a huge responsibility, I will try my best to carry it out in the best possible manner. Whatever I am today is all due to Manohar Parrikar. It was he who brought me to politics, I became the Speaker and the CM today, due to him. #Goa pic.twitter.com/Y6pBz3rbsL
— ANI (@ANI) March 18, 2019
प्रमोद सावंत गोवा के नए मुख्यमंत्री बने, राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने देर रात को प्रमोद सावंत और उनके नए मंत्रिमंडल को शपथ दिलवाई, राजभवन में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एक नई सरकार अस्तित्व में आ गई।
#Correction Goa: MGP's* Manohar Ajgaonkar, BJP's Mauvin Godinho, Vishwajit Rane, Milind Naik and Nilesh Cabral, Goa Forward Party's Vinod Palyekar and Jayesh Salgaonkar & Independent MLAs Rohan Khaunte and Govind Gawade also took oath at the Raj Bhavan as state cabinet ministers.
— ANI (@ANI) March 18, 2019
प्रमोद सावंत के अलावा 11 मंत्रियों ने शपथ ली, जिसमें सुदिम धवलीकर और विजय सरदेसाई को डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी गई।
गोवा मंत्रिमंडल के सदस्य
प्रमोद सावंत (मुख्यमंत्री)
सुदिन धवलीकर (उपमुख्यमंत्री)
विजय सरदेसाई (उपमुख्यमंत्री)
विनोद पालयेकर
जयेश सालगांवकर
विश्वजीत राणे
मनोहर अजगांवकर
रोहन खंवटे
गोविन्द गावडे
मिलिंद नाइक
नीलेश काबराल
मोविन गोदिन्हो
देर रात राज भवन में ताजपोशी हुई, ताजपोशी से पहले राष्ट्रगान की धुन बजी, लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े हुए, इसके बाद राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने गोवा के नए मुखिया को राज्य की कमान सौंपी, प्रमोद सावंत ने संविधान की शपथ ली।
आरएसएस कैडर हैं प्रमोद सावंत
46 वर्षीय प्रमोद सावंत गोवा में भाजपा के अकेले ऐसे विधायक हैं जो आरएसएस कैडर से हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह पार्टी के प्रवक्ता और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष थे। 2017 में जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया। वह भाजपा सरकार के सबसे पसंदीदा नेता हैं। इस बात का अंदाजा हम इसी बात से लगाया जा सकता है कि परिकर के निधन के बाद जब विकल्प की बात आई तो सबसे पहले उन्हीं का नाम सामने आया।