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मजदूरों संग घर बना रहा था ‘मिस्त्री’, तभी पता चला बन गया है IAS

भोपाल। यूपीएससी ने शुक्रवार को परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया। इसमें राजस्थान के होनहार कनिष्क कटारिया ने ऑल इंडिया में पहली रैंक हासिल की है। कनिष्क जयपुर के रहने वाले है। वहीं, सृष्टि जयंत देशमुख महिला अभ्यर्थियों में पहले पायदान पर रहीं जबकि सम्मिलित सूची में उन्होंने पांचवा स्थान हासिल किया।

आईएएस टॉपर कनिष्क कटारिया के पिता सावरमल वर्मा राजस्थान में ही आईएएस हैं, जबकि इनके ताऊजी केसी वर्मा भी आईएएस हैं। वे जयपुर के संभागीय आयुक्त हैं। इसी तरह, आईएएस में दूसरी रैंक हासिल करने वाले अक्षत जैन के पिता डीसी जैन राजस्थान में सीनियर आईपीएस हैं। फिलहाल हम बात करने जा रहे हैं मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छात्र सुमित विश्वकर्मा की। सुमित विश्वकर्मा ने यूपीएससी में 53वी रैंक हासिल की है। सुमित मजदूरी कर अपने खर्च चलाते हैं और मजदूरी करते करते ही संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा में भाग लिया।

मध्यप्रदेश में भवन निर्माण करने वाले मजदूरों को ‘मिस्त्री’ कहते हैं। सुमित विश्वकर्मा भी ‘मिस्त्री’ है। वह पिछले दस सालों से ये काम कर रहे हैं। कल तक उनके हाथ में मकान के निर्माण कार्य मे इस्तेमाल होने वाली कन्नी हुआ करती थी। पिछले दस वर्षों से ये कन्नी ही राह के कांटें साफ कर रही थी।

सुमित ने बताया कि पिता के साथ बचपन से ही मिस्त्री का काम सीख गया था। इसमें पैसा भी ठीक मिलता था। एक से दो सप्ताह काम कर बाकी समय पढ़ाई कर सकता था। दूसरी कोई नौकरी करता तो ऐसा नहीं कर पाता। फाइनल इंटरव्यू में सुमित से पूछा गया OK का फुल फार्म क्या है? सुमित ने कहा objections killed। यही अनूठी सोच और लगन से सुमित ने आज नामुमकिन को मुमकिन करके दिखाया और सुमित आईएएस बन गया। सुमित विश्वकर्मा घँसोर जिला – सिवनी, मध्यप्रदेश का रहने वाला है। उसने UPSC में 53 वी रैंक हासिल की है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH