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कहीं के नहीं रहे सिपाही से एसडीएम बने श्याम बाबू, आफत की हुई बरसात

लखनऊ। यूपी पुलिस में सिपाही श्याम बाबू श्याम बाबू ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा 2016 पास करके उपजिलाधिकारी का पद प्राप्त किया था। सीनियर आईपीएस नवनीत सिकेरा ने भी श्याम बाबू को उनकी इस कामयाबी के लिए बधाई दी थी।उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसकी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, हम या तो बहाने ढूंढते हैं या सपनों को साकार करने के लिए मेहनत कर सकते हैं। तुमने कर दिखाया। आईपीएस नवनीत सिकेरा के साथ ही सोशल मीडिया पर भी उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। जो लोग श्याम बाबू को नहीं जानते वो भी उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें सलाम कर रहे हैं।

हालांकि वही श्याम बाबू अब बुरी मुसीबत में फंस गए हैं। उनका जाति प्रमाण पत्र अवैध करार दिया गया है। बलिया जिले की बैरिया तहसील के रहने वाले श्याम बाबू ने अपना जाति प्रमाण पत्र बैरिया तहसील से ही बनवाया, जिसमें जाति गोंड थी। यह जाति अनुसूचित जनजाति के अन्तर्गत आती है, तो पीसीएम परीक्षा में इसी के तहत श्याम बाबू को आरक्षण का लाभ मिला और वह एसडीएम के पद पर चुन लिए गए। अब अब आयोग में आई शिकायत में पाया गया कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाया है।

इसके बाद अब श्याम बाबू को तहसील प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है, वहीं आयोग अब उनके चयन पर भी कार्रवाई कर सकता है। नोटिस के अनुसार, श्याम बाबू ने अपनी जाति के लिये अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लगाया था और फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई तो श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र भी अवैध करार कर दिया गया। प्रशासनिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि श्याम बाबू का जाति प्रमाणपत्र शासनादेश का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है। ऐसे में अब श्याम बाबू बुरी तरह फंस गये हैं। एक ओर उनपर प्रशासनिक कार्रवाई होगी और दूसरी तरफ चयन रद्द किये जाने का भी डर है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्याम बाबू श्याम बाबू ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा 2016 पास करके उपजिलाधिकारी का पद प्राप्त किया है।श्याम बाबू पिछले 14 साल से यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थे। श्याम बाबू ने 2005 में बलिया के रानीगंज स्थित श्री सुदिष्ट बाबा इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया था, जिसके बाद वह बतौर कॉन्स्टेबल उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हो गए थे।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH