लखनऊ। हिन्दू त्योहारों में सभी को दिवाली का सबसे ज्यादा इंतजार रहता है। इस बार दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जा रही है। दिवाली का सेलीब्रेशन करीब 5 दिनों तक चलता है। धनतेरस से शुरू होकर भइया दूज पर जाकर यह पर्व समाप्त होता है। कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दीपावली को दीपों का पर्व कहा जाता है। प्रकाश का पर्व कहा जाता है। इस दिन लोग अपने घर में, दुकानों में लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की पूजा करते हैं।
दिवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त
दीवाली / लक्ष्मी पूजन की तिथि: 27 अक्टूबर 2019
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 27 अक्टूबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 28 अक्टूबर 2019 को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा मुहुर्त: 27 अक्टूबर 2019 को शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक
कुल अवधि: 01 घंटे 30 मिनट
दीवाली पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ।
लक्ष्मी पूजन की विधि
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है। दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्मी की पूजा:
मूर्ति स्थापना: सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
धरती मां को प्रणाम: इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्चारण करें।
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
आचमन: अब इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें।
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:
ध्यान: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का ध्यान करें।
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,
गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।
या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,
सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।
आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी का आवाह्न करें।
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी !
क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !
।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।