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भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने खोजा कोरोना का नया इलाज

नई दिल्ली। अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया है कि जब एक इंटरल्यूकिन-6 (आईएल 6 आरआई) अवरोधक, सरीलूमैब या टोसिलिजुमब को प्रभाव में लाया जाता है, तो गंभीर कोविड-19 लक्षणों का अनुभव करने वाले रोगियों में सुधार देखने को मिला है। इसका उपयोग गठिया रोग और अन्य कई सूजन संबंधी बीमारियों के लिए किया जाता है।

यह उपचार तब अधिक प्रभावी देखा गया है, जब इसे बीमारी के शुरुआती चरण में ही अपनाया जाता है।अंतर्राष्ट्रीय संक्रामक रोगों की पत्रिका (इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजिज) में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि इंटरल्यूकिन-6 अवरोधक रेमेडेसवीर और डेक्सामेथासोन सहित अन्य विकल्पों की तुलना में अधिक प्रभावी उपचार पद्धति प्रतीत होती है, जो वर्तमान में महामारी की जांच के लिए अनुशंसित है और इसमें इसका उपयोग किया जा रहा है।

अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मनीष सागर ने कहा, ऐसे समय में जब कोविड-19 महामारी के बीच उपचार के लिए तत्काल परीक्षण किया जा रहा है, हमारे अध्ययन के परिणाम इस बीमारी से संक्रमित रोगियों के बेहतर उपचार के लिए समाधान खोजने की दिशा में कुछ आशा प्रदान करते हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH