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कोरोना की मार से बुनकर हुए बेरोज़गार, पलायन करने को मजबूर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के हथकरघों के इन दिनों हाल बेहाल हैं। कोरोना की मार ने इन्हे पूरी तरह से बेरोज़गार कर दिया है। हालाँकि, दुर्गा पूजा का उत्सव दूर नहीं है, जहाँ हर साल इन सभी की खूब कमाई हो जाती थी। सीज़न के समय हथकरघे दिन रात काम करते थे, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के चलते सब कुछ बदल गया है। जहां यह सभी हाथकरघे दूसरे जिलों से आये हाज़रों बुनकरों को खुद रोजगार देते थे। वहीं आज नौबत ऐसी हो गयी है कि इन्हे रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। इस जानलेवा वायरस ने इन्हे बुरी तरह से प्रभावित किया है।

पश्चिम बंगाल के शांतिपुर, फुलिया और समुद्रगढ़ इलाकों के घर-घर में इसकी मशीन आपको मिल जाएगी। इन इलाकों में बुनाई एक परम्परागत पेशा है। इसे यहाँ के लोग सालों से बड़े ही प्यार से पाल-पोस रहे हैं। लेकिन अब इनकी सालों की मेहनत पर पानी फिरता नज़र आ रहा है। फुलिया व्यवसायी समिति के दिलीप बसाक ने कहा, ‘‘इस सीजन में बुनकर काफी व्यस्त रहते थे। उन्हें कई-कई घंटे काम करना पड़ता था, लेकिन इस साल कोविड-19 की वजह से स्थिति काफी खराब है और बड़ी संख्या में बुनकर रोजगार के लिए अन्य राज्यों को ‘पलायन’ कर गए हैं।”

आपको बताते चलें कि फुलिया तंगेल बुनकर सहकारी समिति के अश्विनी बसाक ने बताया कि मुफ्त राशन और 100 दिन के लिए काम मिलने की वजह से बुनकरों के परिवार भुखमरी से बच गए हैं। कुछ हस्तकरघे तो जीवन यापन करने के लिए अन्य प्रदेशों में जाकर छोटी-मोती नौकरी करने पर मजबूर हैं। फिलहाल तो इन बुनकरों का गुज़र बसर किसी तरह चल रहा है, लेकिन महामारी के चलते जिस तरह से लोग बेरोज़गार हो रहे उसे देखकर तो यही लगता है कि इनका आगे का रास्ता बेहद चुनौती पूर्ण साबित होने वाला है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH