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राजनीतिक दलों के खातों की जांच में छूट पर उठी उंगलियां, केंद्र ने दी सफाई

नोटबंदी, राजनीतिक दलों, केंद्र, मोदी सरकार

 

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नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद सियासी दलों के खातों में चाहे जितनी भी रकम जमा हुई हो, उसकी जांच नहीं की जाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर एसवाई कुरैशी ने कहा कि जब सरकार रिक्शेवाले, सब्जीवाले और मजदूर तक से उसकी आय का हिसाब मांग रही है

तो सियासी दलों से क्यों नहीं? अन्य विशेषज्ञों का भी कहना है कि इससे राजनीतिक दलों को काला धन सफेद बनाने का लाइसेंस मिल जाएगा। जबकि वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर सफाई दी है। इसमें उसने कहा है कि राजनीतिक दलों के खातों पर नजर रखने के लिए आय कर कानून में पर्याप्त प्रावधान हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि राजनीतिक दलों को कोई नई छूट नहीं दी गई है। कोई भी दल 500 एवं 1000 रुपये के पुराने नोटों में चंदा स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें पिछले महीने ही अस्वीकार कर दिया गया था। ऐसा करने वाला कोई भी दल कानून का उल्लंघन करेगा।

जेटली ने कहा कि किसी भी अन्य की तरह राजनीतिक दल बैंकों को 30 दिसंबर तक पुराने नोटों में रखी गई नकदी जमा करा सकते है, बशर्ते वे संतोषजनक रूप से आय के स्रोत का संतोषजनक उत्तर दें और उनकी खाता पुस्तिका आठ नवंबर से पहले की प्रविष्टियां दर्शाती हो।

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