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PoK में मस्जिद के अंदर लश्‍कर आतंकी अबु कासिम की गोली मारकर हत्या, ISI के लिए है बड़ा झटका

इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर (PoK) के एक मस्जिद में लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकी अबु कासिम की हत्‍या कर दी गई। PoK के रावलकोट में अल-कुदुस मस्जिद के अंदर कासिम की गोली मारकर की गई हत्‍या रहस्‍य बनी हुई है। शुक्रवार की नमाज के दौरान नजदीक से गोली मारकर हुई यह हत्‍या पाकिस्‍तान की इंटेलीजेंस एजेंसी ISI के लिए बड़ा झटका है।

कासिम, जिसका असली नाम रियाज अहमद है, भारत के राजौरी में इस साल जनवरी में हुए आतंकी हमले में वॉन्‍टेड था। राजौरी के ढांगरी गांव में आतंकवादियों की अंधाधुंध गोलीबारी में कम से कम सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। सवाल उठता है कि एक के बाद एक हो रही इन हत्‍याओं के पीछे आखिर कौन है।

घरेलू आतंकियों ने उतारा मौत के घाट

सूत्रों की मानें तो कासिम की हत्या में पाकिस्तान के घरेलू आतंकवादियों की भूमिका है। यह पिछले चार महीने में इस तरह का तीसरा वाकया है जिसमें किसी आतंकी को ऐसे मौत के घाट उतारा गया है। मारे गए सारे आतंकी लश्‍कर सरगना हाफिज सईद के करीबी थे।

कासिम से पहले लश्कर कमांडर खालिद सैफुल्ला 11 अगस्त ढेर कर दिया गया था। लश्कर कमांडर सलाम भुट्टावी, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों का ट्रेनर भी था, उसकी हत्‍या भी रहस्‍य बनी हुई है। भुट्टावी को पाकिस्तान की जेल में रहस्यमय तरीके से दिल का दौरा आ गया था। पिछले एक साल में करीब ऐसी 10 हत्याएं हुई हैं जिनमें से अधिकांश पाकिस्तान में मारे गए हैं।

ISI के लिए बड़ा झटका

शुक्रवार को कासिम की हत्या ISI की कश्मीर की योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका है। कासिम ने कश्मीरी ने घाटी में राजौरी और पुंछ इलाकों में भर्तियों के साथ खुद को एक ‘लॉन्चिंग कमांडर’ के रूप में स्थापित किया था।

पाकिस्तानी मीडिया ने अबू कासिम की मौत को ‘इस्लामिक गुरिल्ला टारगेटेड किलिंग’ करार दिया है। स्थानीय मीडिया ने पुलिस के हवाले से कहा है कि कासिम को हेलमेट पहने हमलावरों ने चार गोलियां मारीं।

कासिम मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के सुरनकोट इलाके का रहने वाला था। साल 1999 में सीमा पार से घुसपैठ कर आया था। एक खुफिया अधिकारी की मानें तो उसे सीमावर्ती जिलों पुंछ और राजौरी में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने का मास्‍टरमाइंड माना जाता है।

जेहाद के लिए युवाओं को भड़काता

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्‍म करने के बाद से, ISI को आतंकियों की भर्ती में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अबू कासिम ने लॉन्चपैड्स को सक्रिय रखा था।

वह स्थानीय युवाओं को जेहाद के बारे में ब्रेनवॉश करते हुए उन्हें ISIS के पेरोल पर लाता रहा। पिछले तीन सालों में कासिम और उसके साथियों की वजह से मनशेरा और मुजफ्फराबाद समेत पीओके के तीन-चार इलाकों में आतंकी कैंप जारी हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH