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भारत-अमेरिका संबंध ठोस पथ पर : रिचर्ड वर्मा

richard_vermaनई दिल्ली| भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध ठोस ऊपरी पथ पर है और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को यह रिश्ता एक बहुत ही मजबूत अवस्था में मिलेगा। वर्मा ने इंडिया टुडे टीवी के साथ एक साक्षात्कार में पत्रकार करण थापर से कहा कि उनके कार्यकाल के दो वर्ष भारत-अमेरिका संबंधों के लिए सबसे अच्छे रहे और इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को जाता है।

उन्होंने कहा, “हम अब संबंधों के ऊपरी ठोस पथ पर हैं।” वर्मा ने कहा कि मोदी और ओबामा नौ बार मिल चुके हैं और दोनों के बीच तीन शिखर स्तर की बातचीत हो चुकी है, तथा दोनों पक्षों के बीच 100 से अधिक सरकार स्तर पर बैठकें हो चुकी हैं।

रिचर्ड वर्मा के अनुसार, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग खरीदार-विक्रेता के रिश्ते से आगे निकल चुका है और अब पेंटागन में एक विशेष प्रकोष्ठ है जो सिर्फ भारत के साथ रक्षा प्रौद्योगिकी से संबंधित मामलों की देखरेख करता है।

उन्होंने पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स अदान-प्रदान पर हुए समझौते का भी जिक्र किया और कहा कि हमारी दोनों सेनाएं बहुत महान हैं। वर्मा ने इस बात को दोहराया कि अमेरिका परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन करता है, जिसे चीन ने पिछले वर्ष जून में सियोल में 48 देशों के इस समूह की हुई सामान्य बैठक में बाधित कर दिया था।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों में स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन दो प्रमुख वैश्विक समझौते हैं। वर्मा के अनुसार, अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस ने भारत में परमाणु विद्युत संयत्र बनाने का प्रस्ताव पिछले वर्ष दिया था। पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद के बारे में अमेरिकी राजदूत ने कहा, “हमने एक बहुत ही कठोर रुख अपनाया है।”

भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका चाहता है कि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी अपनी समस्याएं आपस में सुलझाएं। ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा, “हम नए प्रशासन को अपने रिश्ते को बहुत मजबूत स्थिति में दे रहे हैं।”

एच1-बी वीजा में कटौती करने संबंधित ट्रंप के बयान के बारे में पूछे जाने पर वर्मा ने कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है और वह खुद इस पर काम कर रहे हैं। एच1-बी वीजा संख्या में कटौती से भारतीय आईटी कंपनियां प्रभावित हो सकती हैं।

उन्होंने कहा, “हमें एकसाथ आमने-सामने बैठकर इस मुद्दे को सुलझाना है।” यह पूछे जाने पर कि भारत में भारतीय मूल के प्रथम अमेरिकी राजदूत के रूप में वह कैसा महसूस करते हैं? वर्मा ने कहा, “मेरे लिए यह अपार गर्व की बात है।” वर्मा ने कहा कि उनके दो वर्षो के कार्यकाल के दौरान उन्होंने 25 भारतीय शहरों का भ्रमण किया।

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Dileep Kumar
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