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ओंकारेश्वर में वेदांत संस्थान की स्थापना होगी : शिवराज 

Shivraj-Singh-Chouhan

ओंकारेश्वर| मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां गुरुवार को आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को आम लोगों तक पहुंचाने और इसे व्यवहार में लाने के लिए ओंकारेश्वर में संतों के मार्गदर्शन में वेदांत संस्थान की स्थापना का ऐलान किया। ‘नमामि देवी नर्मदा सेवा यात्रा’ के तहत ओंकारेश्वर में गुरुवार को ‘आदि शंकराचार्य के स्मरण प्रसंग’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की विशालकाय प्रतिमा राज्य के हर घर-घर से धातु एकत्रित कर बनाकर स्थापित की जाएगी और राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में आदि शंकराचार्य के दर्शन को शामिल किया जाएगा।”

नर्मदा सेवा यात्रा गुरुवार को 59वें दिन ओंकारेश्वर पहुंची। यह यात्रा 11 दिसंबर को अमरकंटक से शुरू हुई है। यात्रा का समापन 11 मई 2017 को होगा। यह यात्रा कुल 144 दिन चलेगी।

चौहान ने आगे कहा, “आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के लिए पूरे प्रदेश के घर-घर से धातु एकत्रित की जाएगी, दान में कोई भी धातु दी जा सकेगी, एकत्रित धातु से संतों के परामर्श से प्रतिमा का निर्माण कराए जाने के बाद स्थापित किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, “आदि शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन के कारण ही भारत की सांस्कृतिक एकता और अखंडता कायम हुई थी। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर, नर्मदा और आदि शंकराचार्य के महत्व को बताने वाला लाइट एंड साउंड शो कार्यक्रम प्रारंभ किया जाएगा। आदि शंकराचार्य जी की गुफा का संत समाज के मार्गदर्शन में पुनरुद्धार होगा।”

ज्ञात हो कि आदि शंकराचार्य ने ओंकारेश्वर की गुफा में अपने गुरु श्रीमद् गोविंद भागवत पाद के सान्निध्य में तीन वर्ष तक रहे थे।

चौहान ने कहा, “अद्वैत दर्शन में सभी जीवों को ब्रह्म का रूप माना गया है। यही आत्मिक प्रसन्नता का स्रोत है।”

जूना अखाड़ा के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा, “आदि शंकराचार्य के दर्शन ने सभी प्रचलित कुरीतियों पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि संसाधनों के त्यागपूर्वक उपभोग की भारतीय संस्कृति रही है।”

उन्होंने कहा, “आदि शंकराचार्य की स्मृति में जो काम प्रदेश सरकार ने करने का संकल्प लिया है, उससे दक्षिण और उत्तर के बीच संवाद सेतु का निर्माण होगा। इस काम में सारे संन्यासी और संत समाज उनके साथ हैं। नर्मदा सेवा यात्रा को पूरे संत समाज का समर्थन है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में इस समय आध्यात्मिक वातावरण विद्यमान है।”

स्वामी अवधेशानंद ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिए प्रत्येक घर से धातु के रूप में योगदान लेने का सुझाव दिया, ताकि अद्वैत दर्शन का संदेश घर-घर पहुंच सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा बनाने के लिए प्रत्येक घर से धातु संग्रह करने का अभियान नर्मदा सेवा यात्रा के साथ चलेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा, “भारत में भावनात्मक एकता सदा से विद्यमान है। उन्होंने कहा कि अनुभूति के बिना शब्द अर्थहीन होते हैं। अद्वैत दर्शन को जीवन में अभिव्यक्त होना चाहिए।”

इस मौके पर चिन्मय मिशन के प्रमुख स्वामी तेजोन्मयानंद, साध्वी ऋतंभरा व फिल्म निर्माता डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने भी अपनी बात रखी।

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Dileep Kumar
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