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आधार विधेयक पर स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

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वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने दायर की है याचिका

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की उस याचिका का विरोध किया जिसमें आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में समर्थन किए जाने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी गई है।

जयराम रमेश की ओर से पी चिदंबरम कर रहे हैं पैरवी

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम की दलीलों का विरोध किया। चिदंबरम याचिकाकर्ता जयराम रमेश की ओर से पेश हुए थे। चिदंबरम ने कहा कि राज्यसभा के समक्ष विचार से बचने के लिए आधार विधेयक का समर्थन धन विधेयक के रूप में किया, जिसे धन विधेयक पर कोई अधिकार नहीं होता है।

हालांकि, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अध्यक्ष के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है और इसके अतिरिक्त विधेयक में संविधान के तहत सभी आवश्यक जरूरतें शामिल हैं जो कि धन विधेयक के रूप में समर्थन के लिए जरूरी होती हैं क्योंकि समाज कल्याण कार्यक्रमों पर आधार से जुड़ा प्रत्येक व्यय समेकित कोष से निकाला जाएगा ।

आधार विधेयक को धन विधेयक के रूप में समर्थन किए जाने के अध्यक्ष के फैसले की समीक्षा पर जोर देते हुए चिदंबरम ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण है कि किसे धन विधेयक के रूप में समर्थन किया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ का मत था कि याचिका में उठाया गया मुद्दा गंभीर है। हालांकि, इसने अटॉर्नी जनरल की इस बात से सहमति जताई कि यह मुद्दा समेकित कोष से धन निकालने से जुड़ा है।

पीठ ने चिदंबरम से कहा कि वह अटॉर्नी जनरल द्वारा उठाई गई सभी आपित्तयों को देखें। पीठ ने मामले को यह कहते हुए चार हफ्ते के लिए टाल दिया कि वह मुद्दे पर तुरंत संज्ञान नहीं लेना चाहती।

आधार (वित्तीय एवं अन्य रियायत, लाभ एवं सेवा का लक्षित वितरण) विधेयक 2016 पिछले साल मार्च में चर्चा के बाद लोकसभा में पारित किया गया था। यह विधेयक 16 मार्च को राज्यसभा में लाया गया था जहां इसमें कई संशोधन किए गए थे।

विधेयक को बाद में उसी शाम लोकसभा को लौटा दिया गया था जहां उच्च सदन द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को खारिज करके इसे पारित कर दिया गया था। अटार्नी जनरल ने 10 मई, 2016 को रमेश की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि संवैधानिक प्रावधान उन्हें इसे चुनौती देने से रोकते हैं।

रोहतगी ने कहा था, संविधान के तहत यह स्थापित परिपाटी है कि अध्यक्ष द्वारा अभिप्रमाणित धन विधेयक चुनौती से परे है। हालांकि चिदम्दबम ने इस पर कहा था कि जब नियमों का उल्लंघन हो तब वह परिस्थिति इस बात का आधार नहीं हो सकती जिस पर याचिका खारिज की जा सके।

जब पीठ ने पूछा था कि क्या यह (आधार को धन विधेयक के रूप में लेना) न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है तब अटार्नी जनरल ने कहा था कि जयराम रमेश के मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है

अतएव संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर उनकी याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। चिदम्बरम ने कहा था कि आधार विधेयक को धन विधेयक के तौर पर नहीं लिया जा सकता, अतएव याचिका अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गयी है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने पीठ से कहा था कि इस विधेयक को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित तो किया था लेकिन जब राज्यसभा के सभापति से शिकायत की गयी थी तब उन्होंने कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अभिप्रमाणित विधेयक पर कोई कदम उठाने का उन्हें अधिकार नहीं है।

पीठ ने तब कहा था कि यह एक गंभीर मामला है एवं उस पर उपयुक्त सुनवाई की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने रमेश की अर्जी पर 25 मई, 2016 को इस मामले में रोहतगी से मदद मांगी थी लेकिन कोई नोटिस नहीं जारी किया था।

लोकसभा ने 16 मार्च को आधार विधेयक पारित किया था जिसका लक्ष्य आधार विशिष्ट पहचान के माध्यम से सब्सिसी का उचित लाभार्थियों तक पहुंचना है। सदन ने राज्यसभा के पांच संशोधनों की सिफारिशों को खारिज करने के बाद लोकसभा ने आधार (वित्तीय एवं अन्य रियायत, लाभ एवं सेवा का लक्षित वितरण) विधेयक 2016 को ध्वनिमत से पारित किया था।

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