नई दिल्ली। एआईएडीएमके चीफ वी.के. शशिकला का राजनीतिक कॅरियर खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में उन्हें चार साल की सजा सुनाई है। इसी के साथ तमिलनाडु के राजनीतिक संकट भी समाप्त होने की उम्मीद जताई जा रही है।
शशिकला का राजनीतिक भविष्य आज आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका हुआ था। इस फैसले ने तय कर दिया कि वह तमिलनाडु की सीएम अब नहीं बन पाएंगी।
शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। बीते हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह लंबे वक्त से पेंडिंग चले आ रहे इस मामले पर फैसला देगा।
जस्टिस पीसी घोष और अमिताव रॉय की बेंच ने फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद शशिकला को सेशन कोर्ट में सरेंडर करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने संक्षिप्त फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें शशिकला व अन्य को इस मामले में बरी किया गया था।
इस फैसले से सेशन कोर्ट का फैसला बहाल हो जाएगा जिसमें 27 सितंबर 2014 को जयललिता और शशिकला को चार साल की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। बाकी तीन पर 10-10 करोड़ रुपये का फाइन लगाया। जयललिता बतौर सीएम अयोग्य हो गईं और उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।
क्या है पूरा मामला
-यह केस राज्य सरकार बनाम जयललिता व अन्य के बीच चल रहा है। अन्य आरोपियों में शशिकला, उनकी रिश्तेदार इलावरासी और जया के दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरन शामिल हैं। जया ने उनसे नाता तोड़ लिया था।
-यह मामला करीब दो दशक पुराना है। आरोप है कि इन्होंने 1991 से 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई। इनमें 810 हेक्टेयर जमीन, गोल्ड जूलरी और हजारों सिल्क साड़ियां शामिल हैं।
-सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का ट्रायल उस वक्त चेन्नै से बेंगलुरु की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था, जब एक डीएमके मेंबर ने शिकायत दर्ज कराई। उसने आशंका जताई थी कि सूबे की अदालत में इस मामले में निष्पक्ष फैसला न हो क्योंकि मामले में मुख्य आरोपी सीएम है।
-बेंगलुरु की अदालत ने 27 सितंबर 2014 को जयललिता को चार साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। बाकी तीन पर 10-10 करोड़ रुपये का फाइन लगाया। जयललिता बतौर सीएम अयोग्य हो गईं और उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।
-कर्नाटक हाई कोर्ट ने 11 मई 2015 को जया, शशिकला और अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। इसके बाद जयललिता की एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
-हाई कोर्ट ने अपने 919 पेज के फैसले में कहा था, ‘आय से अधिक संपत्ति की प्रतिशतता 8.12% है। यह अपेक्षाकृत कम है। इस मामले में आय से अधिक संपत्ति 10 प्रतिशत से कम है और यह स्वीकार्य सीमा के अंदर है। इस वजह से आरोपी बरी होने के हकदार हैं।’
शशिकला के खिलाफ अन्य मामले
-प्रवर्तन निदेशालय ने फेरा उल्लंघन में 1995 से 1996 के बीच तीन केस दर्ज किए। इसमें अमेरिकी और सिंगापुर डॉलर्स से दो विदेशी कंपनियों को भुगतान करने का मामला शामिल है। यह भुगतान कथित तौर पर जेजेटीवी के लिए तकनीकी कलपुर्जे खरीदने के लिए किया गया था।
-शशिकला के खिलाफ फॉरेन एक्सचेंज केस से जुड़ा मामला भी है। आरोप है कि उन्हें मलयेशिया से धन हासिल करके उससे नीलगिरी में चाय के बागान खरीदे। इस मामले में उन्हें ट्रायल का सामना करना होगा।