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सतत विकास से शांति-खुशहाली में बाधक समस्याएं खत्म होंगी : सुमित्रा महाजन

इंदौर| मध्यप्रदेश के इंदौर में चल रहे दो दिवसीय दक्षिण एशियाई देशों के संसद अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन का समापन करते हुए रविवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा है कि सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति से शांति और खुशहाली में बाधक समस्याओं का समाधान हो जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया, “अधिकांश लोग अभी भी घोर गरीबी में जीवन बसर कर रहे हैं जो नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस क्षेत्र के देशों की यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे उन्हें प्रभावित करने वाली समस्याओं का हल खोजें। इस पृष्ठभूमि में उनका मत था कि दो दिनों के सत्रों में हुई चर्चाएं बहुत ही उल्लेखनीय और लाभप्रद रहीं।”

महाजन ने कहा, “एक ओर विकास की आवश्यकता है और दूसरी और हमें पर्यावरण का भी संरक्षण करना है। दोनों के बीच संतुलन के परिणाम बहुत बुरे हो सकते हैं और इनसे जलवायु प्रभावित होती है।”

उन्होंने यह भी कहा, “जनवरी 2016 में ढाका में प्रतिनिधियों के बीच इस बात पर आम सहमति हुई थी कि सतत विकास लक्ष्यों के बारे में कार्यवाही की जाएगी और निर्धारित अवधि के भीतर लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए एक व्यावहारिक योजना तैयार की जाएगी।”

उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में उन तौर-तरीकों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई जिनसे संसद यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सतत विकास लक्ष्यों की रणनीतियों के कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय और अन्य संसाधन उपलब्ध हों।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि महिला-पुरुष असमानता एक संवेदनशील चुनौती है और महिलाओं को भी गरिमा और समानता के साथ जीने का अधिकार है। इस विचार से सभी सहमत हैं कि महिला-पुरुष समानता और महिला-पुरुष का बेहतर संतुलन सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण कारक सिद्घ हो सकता है।

इससे पहले, अंतर-संसदीय संघ के अध्यक्ष, साबिर चौधरी ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन बहुत सार्थक रहा है और न केवल राष्ट्रीय, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक आकांक्षाओं के मामले में प्रेरक रहा है। सतत विकास लक्ष्य का उद्देश्य लोगों का कल्याण है और इस संबंध में नए ²ष्टिकोण और नई भागीदारी की आवश्यकता है।

शिखर सम्मेलन के कार्य सत्र में जलवायु परिवर्तन और प्रातिक आपदाओं की चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटना और क्षेत्रीय संसदीय सहयोग के अवसर विषय पर चर्चा हुई।

इस सत्र में भाग लेते हुए, दक्षेस आपदा प्रबंध केंद्र के कार्यकारी निदेशक, प्रोफेसर संतोष कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन गंभीर चिंता का विषय है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र को बहुत खतरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि गुजरात और नेपाल में भूकंप आने के बाद यह बहुत जरूरी हो गया है कि अपने शहरों और देशों में आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए हम इनके लिए तैयार रहें।

ट्रांस डिसिप्लिनरी यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के कुलपति डा. बालकृष्ण पिसुपती, रिसर्च एंड इनफार्मेशन सिस्टम फार डेवलपिंग कन्ट्रीज (आऱआई़एस़) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान हुई चर्चा का संक्षिप्त विवरण दिया। इंदौर घोषणा को स्वीकार किए जाने के साथ इस शिखर सम्मेलन का समापन हुआ॥

भारतीय संसद और इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (आईपीयू) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन होटल रेडिसन ब्लू में शनिवार को शुरु हुआ। इस सम्मेलन में पाकिस्तान और म्यांमार हिस्सा नहीं ले रहे हैं। इस सम्मलेन में दक्षिण एशियाई देशों के स्पीकर्स आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए यहां इकट्ठा हुए।

आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, इस सम्मेलन का समापन हो गया। इस मौके पर इंदौर घोषणा पत्र जारी किया गया। अगले शिखर सम्मेलन श्रीलंका में हेागा।

इस शिखर सम्मेलन में अंतर संसदीय संघ के अध्यक्ष साबिर चौधरी, अफगानिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर अब्दुल रऊफ इब्राहिम, बांग्लादेश की संसद की स्पीकर डा़ शिरीन शर्मिन चौधरी, भूटान की नेशनल असेंबली के स्पीकर जिग्मे जांग्पो, भूटान की नेशनल काउंसिल के डिप्टी चेयरपर्सन, शेरिंग दोरजी, श्रीलंका की संसद के स्पीकर, कारु जयसूर्या, मालदीव की संसद के स्पीकर अब्दुल्ला मसीह मोहम्मद, नेपाल की संसद की अध्यक्ष ओनसारी घरती और संसद सदस्य हिस्सा लिया।

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Dileep Kumar
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