NationalTop News

दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों का एबीवीपी के खिलाफ प्रदर्शन

 

नई दिल्ली | दिल्ली विश्वविद्यालय में मंगलवार को सैकड़ों छात्रों ने आरएसएस से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के खिलाफ विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों, प्राध्यापकों और पत्रकारों की पिटाई करने की निंदा करने के लिए मार्च निकाला। मार्च में ‘एबीवीपी वापस जाओ’ के नारे लगाए गए।

करीब 2,000 छात्र व छात्राएं खालसा कॉलेज से चलकर विश्वविद्यालय के विशाल परिसर के किनारे-किनारे होते हुए कला संकाय में एकत्र हुए। इस दौरान वे जोर-जोर से नारे लगा रहे थे। विरोध के दौरान कई छात्रों ने हाथों में बैनर ले रखे थे जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में नारे लिखे थे और वे 21 व 22 फरवरी को ‘परिसर में अराजकता फैलाने के लिए’ एबीवीपी की निंदा कर रहे थे।

कॉलेज छात्रा हिंडोली दत्ता ने कहा, “हम यहां एकजुटता दिखाने और एबीवीपी को यह समझाने के लिए आए हैं कि डीयू (दिल्ली विश्वविद्यालय) हिंसा के खिलाफ खड़ा है।”

हिंडोली लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा हैं, जिसकी छात्रा गुरमेहर कौर को एबीवीपी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान शुरू करने के बाद जान से मारने और दुष्कर्म की धमकी मिली थी।

दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की छात्रा गुरप्रीत ने कहा, “देश के नागरिकों और छात्रों के अधिकार खतरे में हैं। विरोध प्रदर्शन करने का हमारा अधिकार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा छीना जा रहा है।” उन्होंने कहा, “यह केवल दिल्ली विश्वविद्यालय की बात नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र की बात है।”

इस विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थी शामिल हुए लेकिन इसमें जवाहर लाल नेहरू व जामिया मिलिया इस्लामिया के विद्यार्थियों की भी मौजूदगी दर्ज की गई। इस मार्च में कई शिक्षक भी शामिल हुए।

एबीवीपी पर 21 फरवरी को रामजस कॉलेज में आयोजित एक सेमिनार को जबरन रद्द कराने का आरोप है। इसमें जेएनयू छात्र उमर खालिद को आमंत्रित किया गया था जिस पर राजद्रोह का मामला चल रहा है।

इसके अगले दिन एबीवीपी पर दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा उसके खिलाफ मार्च के दौरान छात्रों, प्राध्यापकों और पत्रकारों की पिटाई करने का आरोप लगा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मंगलवार का यह मार्च राजनीतिक नहीं है, बल्कि परिसरों में स्वतंत्रता को लेकर किया जा रहा है।

रामजस कॉलेज के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “22 फरवरी को हुए पथराव में मैं चोटिल हो गया। मैं किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हूं। मैं यहां हिंसा के खिलाफ विरोध जताने पहुंचा हूं।”

एक शिक्षिका ने कहा कि वह यहां ‘एबीवीपी द्वारा धमकाए गए छात्रों की सुरक्षा’ के लिए आई हैं। एक अन्य शिक्षक ने कहा कि यह एबीवीपी का मामला नहीं है। यह गुंडागर्दी के खिलाफ है। हिंसा में शामिल लोग राष्ट्रवादी नहीं होते।

इस दौरान छात्रों ने ‘एबीवीपी वापस जाओ’, ‘एबीवीपी इतने डरावने न बनो’ जैसे नारों के साथ ‘दिल्ली पुलिस- संघी पुलिस’ के नारे लगाए।

मंगलवार के विरोध प्रदर्शन का आह्वान ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने किया था, जिसकी पिछले सप्ताह एबीवीपी के साथ झड़प हुई थी। इसमें वे लोग भी शामिल हुए जो आईसा की विचारधारा को नहीं मानते।

जेएनयू के पूर्व छात्रनेता कन्हैया कुमार ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसके अलावा मंगलवार को कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने भी विश्वविद्यालय परिसर में एबीवीपी के खिलाफ भूख हड़ताल की।

एनएसयूआई की अध्यक्ष अमृता धवन ने आईएएनएस को बताया, “रामजस की घटना व हिंसा के बाद शांति चाहने वाले छात्रों की एक बड़ी संख्या काफी डरी हुई है.. चर्चा की गुंजाइश ही नहीं रह गई है।”

उन्होंने कहा, “कोई भी चीज हिंसा को जायज नहीं ठहरा सकती। हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जहां लोगों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं।”

इससे पहले सोमवार को एबीवीपी ने ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को समर्थन देने’ के खिलाफ विश्वविद्यालय परिसर में ‘तिरंगा मार्च’ निकाला था।

 

=>
=>
loading...