पटना| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की इंटरस्तरीय परीक्षा में प्रश्नपत्र मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की विपक्ष की मांग ठुकराते हुए कहा कि अब सीबीआई जांच की मांग किसी मामले पर पर्दा डालने के लिए की जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार के कई मामले सीबीआई को दिए गए हैं, आखिर उसमें पुलिस जांच के आगे सीबीआई की जांच आगे बढ़ पाई क्या? उनका इशारा केंद्र सरकार के पिंजरे में बंद ‘तोता’ की तरफ था।
नीतीश ने आईएएस एसोसिएशन द्वारा बीएसएससी अध्यक्ष सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि आरोप लगने के बाद इस देश में राष्ट्रपति को छोड़कर सबकी जांच हो सकती है। अधिकारियों को जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सात निश्चय को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने विपक्ष के भ्रष्टाचार बढ़ने के आरोपों को नकारते हुए कहा, “भ्रष्टाचार पर उनकी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है और प्रश्नपत्र लीक मामले में कार्रवाई हो रही है। इस मामले में गलत करने वाले किसी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा। जांच पर भरोसा रखिए।”
विपक्ष के प्रश्नपत्र मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को नकारते हुए उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि बिहार के कई मामले सीबीआई को दिए गए हैं, आखिर उसमें पुलिस जांच के आगे सीबीआई की जांच आगे बढ़ पाई क्या?
आईएएस एसोसिएशन द्वारा ज्ञापन दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ज्ञापन उन्हें अभी तक नहीं मिला है। उन्हें समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि राजभवन में ज्ञापन दिया गया है। उन्होंने कहा कि वह ज्ञापन का इंतजार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं आईएएस अधिकारियों के ज्ञापन का इंतजार कर रहा हूं। ज्ञापन का एक-एक शब्द पढ़कर जांच कराएंगे। अभी उन्हें राजभवन से भी उसकी कॉपी नहीं मिली है। ज्ञापन मिलने के बाद उस पर कारवाई की जाएगी, जो देश के लिए नजीर बनेगी।” उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में न किसी को बचाया जाता है और न किसी को फंसाया जाता है।
इस दौरान भाजपा के सदस्यों ने सदन में उनकी बात नहीं सुने जाने का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर गए। इससे पहले विपक्ष ने विधानसभा में मंगलवार को भी बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बाद में भाजपा नेता प्रेम कुमार ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दायित्व निभाते हुए राज्य सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया।