नई दिल्ली| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी. एन. साईंबाबा को नक्सलियों का सहयोग करने के अपराध में उप्रकैद की सजा सुनाए जाने का स्वागत किया है। एबीवीपी का कहना है कि देश के शहरी इलाकों में नक्सलवाद को बढ़ावा देने में साईंबाबा की अहम भूमिका रही है।
एबीवीपी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, “शहरी इलाकों में नक्सलवाद का प्रसार करने में साईंबाबा की अहम भूमिका रही है। अदालत में यह साबित हो चुका है कि वह जंगलों में छिपे-बैठे नक्सलवादियों के संपर्क में थे और शहर में बैठे-बैठे उनके लिए काम कर रहे थे। वह नक्सलवादियों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिचौलिए का काम कर रहे थे।”
एबीवीपी ने साईंबाबा पर नक्सलवादी विचारधारा को बढ़ावा देने और दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित देश के अनेक विश्वविद्यालयों में नक्सलवादियों की भर्ती करने का आरोप भी लगाया। संगठन का कहना है कि साईंबाबा का विकलांग होना इस मामले में उनके लिए मददगार ही साबित हुआ है।
दक्षिणपंथी विद्यार्थी संघ एबीवीपी ने आगे कहा है, “रामजस कॉलेज में जिन लोगों ने देशविरोधी नारे लगाए, वे साईंबाबा के संगठन के ही लोग थे। यहां तक कि उनकी गिरफ्तारी के बाद आइसा, एसएफआई और डीएसयू सहित अनेक वामपंथी संगठनों ने उन्हें रिहा करने के लिए अभियान चलाए।” एबीवीपी के अनुसार, साईंबाबा के साथ सजा पाने वाले अन्य दोषियों में शामिल हेम मिश्रा जेएनयू का छात्र था और डीएसयू का भी सदस्य था।
गढ़चिरौली सत्र न्यायालय ने व्हीलचेयर के सहारे चलने वाले साईंबाबा साहित कुल पांच लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य अपराधी को 10 वर्ष की जेल दी गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे साईंबाबा निलंबित थे। उन्हें मई, 2014 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।