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खूंखार बंदियों की फरारी ने खोली कारागार विभाग की पोल

खूंखार बंदियों की फरारी, कारागार विभाग, एक डिप्टी जेलर के भरोसे 700 कैदी

सात सौ कैदियो की सुरक्षा एक डिप्टी जेलर के भरोसे

अफसरों की संस्तुति के बाद भी आईजी जेल नही करते कार्रवाई

राकेश यादव

लखनऊ। एक डिप्टी जेलर के भरोसे 700 कैदी। यह बात पढ़ने मे भले ही अटपटी लग रही हो लेकिन एक कैदी की फरारी ने इस सच का खुलासा कर दिया। उरई जेल मे चार खूंखार बंदियों की फरारी ने कारागार मुख्यालय की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है। कैदियों की फरारी के समय जेल की जिम्मेदारी जिला प्रशासन के अलावा एक डिप्टी जेलर के कन्धों पर थी। उरई जेल मे कैदियों के अनुपात मे अफसरों एवं सुरक्षाकर्मियों की काफी कमी है। इसका लाभ उठाकर कैदियों ने फरारी की घटना को अंजाम दे दिया। चर्चा है कि कारागार विभाग के मुखिया की तानाशाही की वजह से जेलो मे घटनाओं मे बढोतरी हो गई है। बताया गया है कि घटना के बाद निलम्बित अधिकारियों की उन्ही जेलो मे तैनाती होने से भी अफसर बेखौफ हो गये। उत्तर प्रदेश की जेलों मे कैदियों के अनुपात मे सुरक्षाकर्मियों की संख्या काफी कम है। प्रदेश की सत्तर जेलों के लिये वर्तमान समय मे करीब साढ़े चार हजार सुरक्षाकर्मी ही तैनात है। इसी प्रकार विभाग मे अधिकारियों की संख्या भी सृजित पदो से काफी कम है। अफसरों की संख्या कम होने से प्रदेश की कई जेलों मे अधीक्षक की जिम्मेदारी जेलर और जेलर की जिम्मेदारी डिप्टी जेलर निभा रहे है।

सूत्रों का कहना है कि गुरूवार की देर रात उरई जिला जेल मे डकैती, हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों मे बन्द चार खुंखार अपराधी जेल की सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देकर फरार हो गये। बैरक के  अरगडे़ की मोटी सलाखों को काटकर एक बिजली के खम्भें व ओढ़ने के लिये मिलने वाली चादरों की मदद से मेनवाल फांद कर निकल गये। सूत्रों की माने तो अरगडे़ की लोहे की मोटी मोटी सलाखों को इतनी जल्दी काट पाना सम्भव नही है। जानकारों का कहना है कि घटना को अंजाम देने के लिये कई दिन से तैयारी चल रही थी। कैदियों ने जेल मे सुरक्षाकर्मियों और अफसरों की कमी का लाभ उठाकर फरार हो गये। बताया गया है कि वर्तमान समय मे उरई जेल मे कोई भी जेल अधीक्षक तैनात नही है। अधीक्षक की गैर मौजूदगी मे जेल का प्रभार जेलर के कन्धों पर है। बताया गया है कि प्रभारी जेलर के अवकाश पर जाने पर जेल का कागजी प्रभार जिला प्रशासन के एक मजिस्ट्रेट सुपुर्द कर दिया गया था। बंदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जेल पर तैनात डिप्टी जेलर आफताब अहमद अंसारी के हाथों मे थी। सुत्रों का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों की कमी की वजह से मेनवाल गस्त एवं टावरों की सुरक्षा भगवान भरोसे थी। इसी का लाभ उठाकर कैदी घटना को अंजाम देने मे कामयाब हो गये। उरई जेल मे हुई फरारी की इस घटना ने करीब एक दशक पूर्व राजधानी लखनऊ की जिला जेल मे एक साथ नौ खूंखार कैदियों के फरार होने की घटना की यादों को ताजा कर दिया।

इस गम्भीर घटना मे किसी भी बड़े अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई थी। कारागार मुख्यालय ने उरई जेल से चार कैदी के फरारी के मामले मे तीन सुरक्षाकर्मियों को निलम्बित कर औपचारिक खानापूर्ति कर दी। सूत्रों का कहना है कि कारागार के मुखिया एवं प्रभारी महानिरीक्षक के मनमाने रवैये से जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गई है। इलाहाबाद परिक्षेत्र (जेल) के डीआईजी एवं कौशाम्बी जनपद के डीएम की संस्तुति के बावजूद आईजी जेल ने कौशाम्बी जेल मे तैनात डिप्टी जेलर डीके सिंह को नही हटाया। मुखिया का संरक्षण होने की वजह से कई अफसर बेलगाम हो गये है। इस बाबत जब प्रभारी आईजी जेल डीएस चैहान से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होने फोन ही नही उठाया। एआईजी जेल प्रशासन डा. रियाज अख्तर ने उरई जेल का प्रभार डिप्टी जेलर के कन्धों पर होने के सवाल पर पहले तो बताया कि वहा पर अधीक्षक तैनात है। जब अधीक्षक का नाम पूछा गया तो उन्होने कहा कि जेल का प्रभारी जेलर जेल का प्रभार स्थानीय मजिस्ट्रेट के सुपुर्द कर अवकाश पर गया था और फोन काट दिया।

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