नई दिल्ली। बॉटमेकर कंपनी सेंसफोर्थ टेक्नॉलजी ने ईवा नाम का वेब चैटबॉट बनाया है, जो एचडीएफसी बैंक में अपनी सेवा दे रहा है। बैंक में यह चैटबॉट कस्टमर्स को ऑनलाइन प्रॉडक्ट और सर्विसेज की जानकारी मुहैया कराता है।
लाइव होने के मुश्किल से एक महीने के अंदर इवा ने एक लाख से ज्यादा ग्राहकों के चैट को हैंडल किया है। ईवा एचडीएफसी के उन ग्राहकों को डील करता है जो चैट करते हैं और ऑनलाइन सूचना मांगते हैं।
एचडीएफसी बैंक की डिजिटल बैंकिंग के कंट्री हेड नितिन चुग ने बताया, ‘ईवा का काम कस्टमर से बातचीत करना है और वह हमें हमारे बड़े कस्टमर बेस से जुड़ने में मदद करता है। यह हमारे लिए तकनीकी छलांग है।’
क्या है यह चैटबॉट?
इंटरनेट रोबॉट या चैटबॉट असल में सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन होता है। यह चैटबॉट इंसान के मुकाबले बहुत तेजी से कुछ कामों को अंजाम देते हैं। इनके जिम्मे वे काम होते हैं जो सरल और बार-बार होते हैं जैसे बैंकों या किसी बिजनस इंस्टिट्यूशन आदि में सेवा और प्रॉडक्ट संबंधित जानकारी देना या कस्टमर की शिकायतों को हैंडल करना।
हर तरीके के सवालों से जुड़े जवाब बड़े सर्वरों जिनको नॉलेज बैंक कहा जाता है, पर स्टोर कर दिए जाते हैं। बॉट के पास जब किसी कस्टमर की क्विअरी आती है तो वह उसे पहले पढ़ता या समझता है और फिर भंडारित नॉलेज बैंक में से उचित जवाब चुनकर देता है।
कहां हो रहे इस्तेमाल?
भारत के लगभग सभी निजी बैंक अपने बॉट्स तैयार करने के विभिन्न चरण में हैं। एचडीएफसी, कोटक, ऐक्सिस और आईसीआईसीआई बैंक उच्च स्तरीय बॉट्स की मदद से पायलट प्रोग्राम चला रहे हैं। ऐक्सिस बैंक के सीआईओ अमित सेठी ने बताया, ‘हम अपने बॉट में वॉइस सर्विसेज शुरू करने के विचार पर काम कर रहे हैं।’
उन्होंने बताया, ‘हमारे चैटबॉट कस्टमर के सवालों का जवाब देंगे, प्रॉडक्ट के फीचर्स के बारे में बताएं और फंड ट्रांसफर, बिलों का भुगतान एवं रिचार्ज जैसी ट्रांजैक्शंस को अंजाम देंगे।’
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कोटक महिंद्र बैंक के चीफ डिजिटल ऑफिसर दीपक शर्मा ने बताया, ‘कई प्रकार के डेटा बॉट को इंटेलिजेंट बनाते हैं। हमारी कोशिश है कि ऐसे बॉट्स तैयार किए जाएं जो वार्तालाप भी कर सकें।’
उन्होंने बताया, ‘हमारे कस्टमर केयर एग्जिक्युटिव्स भी बैंक के अंदर बॉट्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमारे एग्जिक्युटिव्स को कस्टमर्स को उचित समाधान मुहैया कराने में मदद मिलती है और उनसे अर्थपूर्ण संवाद भी कर सकते हैं।’
नौकरियों पर खतरा
इसका सबसे ज्यादा असर उभरते मार्केट्स के बीपीओ इंडस्ट्री (कॉल सेंटर्स और वाइस प्रोसेसिज) पर पड़ेगा। नैसकॉम के मुताबिक, भारतीय बीपीओ इंडस्ट्री 30 लाख से ज्यादा लोगों को सीधा रोजगार देती है। हर साल करीब 1.5 लाख नए लोगों को नौकरी मिलती है। बीपीओ में चैटबॉट्स का इस्तेमाल बढ़ने की स्थिति में नौकरियों में कटौती हो सकती है। इससे लाखों लोगों की नौकरियां छिन जाने का खतरा है।