Uttar Pradesh

दुष्कर्म की लगातार घटनाओं से महिला संगठन खफा

उप्र के बांदा जिले में दुष्कर्म की घटनाएं, थानाध्यक्ष के निलंबन की मांग, महिला संगठन खफाउप्र के बांदा जिले में दुष्कर्म की घटनाएं

उप्र के बांदा जिले में हो रही हैं दुष्कर्म की घटनाएं

बांदा| उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के बिसंड़ा थाना क्षेत्र में एक सप्ताह के भीतर घटीं दुष्कर्म की तीन घटनाओं को लेकर यहां के महिला संगठन खफा हैं। इन संगठनों ने महिलाओं और बच्चियों की आबरू बचा पाने में विफल थानाध्यक्ष के निलंबन की मांग की है।

उप्र के बांदा जिले में दुष्कर्म की घटनाएं, थानाध्यक्ष के निलंबन की मांग, महिला संगठन खफा
उप्र के बांदा जिले में दुष्कर्म की घटनाएं

महिला संगठन ‘नारी इंसाफ सेना’ (एनआईएस) की प्रमुख वर्षा भारतीय और पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) की प्रमुख श्वेता ने मंगलवार को जारी संयुक्त बयान में कहा, “एक सप्ताह के भीतर बिसंड़ा थाने में दुष्कर्म से जुड़े तीन मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है।”

बयान में कहा गया है, “इनमें से एक घटना छह माह पूर्व घटित हुई थी, जिसमें युवती गर्भवती हो गई थी और उसके बाद डीआईजी के हस्तक्षेप पर मामला दर्ज हुआ है।

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दूसरी घटना 12 मार्च, 2017 को घटी, जिसमें खेत में चारा लेने गई एक दलित महिला के साथ दो दबंगों ने तमंचे के बल पर दुष्कर्म किया और उसे बचाने गए उसके पति की भी पिटाई की गई थी।

इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया। सोमवार को सीओ के दबाव पर उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।”

थानाध्यक्ष के निलंबन की मांग

संगठनों ने कहा है कि तीसरी घटना रविवार देर शाम की है, जिसमें कोर्रही गांव में एक छह साल की बच्ची को अगवा करके 22 साल के युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया और फांसी का फंदा लगाकर उसे फेंक दिया था। बच्ची की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।

बयान में आगे कहा गया है, “दुष्कर्म की तीनों घटनाओं में इलाके की पुलिस पूर्णरूप से दोषी है। पहली घटना में छह माह तक पुलिस मामले को दबाए बैठी रही, जबकि दूसरी घटना में आरोपी को छोड़ने का अपराध किया गया है।”

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि पुलिस समय रहते दुष्कर्मियों को सबक सिखाए तो निश्चित तौर पर उनके हौंसले पस्त हों, लेकिन कुछ मिलने की चाहत में पुलिस ऐसा करने से परहेज कर रही है।

वर्षा और श्वेता ने कहा है कि उनकी नजर में तीनों मामलों में प्रथमदृष्ट्या थानाध्यक्ष बिसंड़ा की भूमिका संदिग्ध है, लिहाजा थानाध्यक्ष को निलंबित किया जाना चाहिए।

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