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मौत से जीता यह ‘चीता’, नौ गोलियां भी नहीं पहना सकीं कफन

सीआरपीएफ कमाडेंट चेतन चीता, ‘आई एम रॉकिंग’, सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता, 14 फरवरी को आतंकियों के साथ मुठभेड़chetan chita

सीआरपीएफ कमाडेंट चेतन चीता की जांबाजी

नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकियों का सामना करते हुए नौ गोलियां खाकर भी मौत को मात देने वाला यह जांबाज ‘चीता’ आज हास्पिटल से डिस्‍चार्ज हो गया। सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता आज जब एम्स के ट्रॉमा सेंटर से डिस्चार्ज हुए तो उनके होठों पर मुस्‍कान थी और सीने में भारत की सेवा फिर से करने का जज्‍बा। तभी तो जब पत्रकारों ने उनसे पूछा तो उनका कहना था ‘आई एम रॉकिंग’।

सीआरपीएफ कमाडेंट चेतन चीता, ‘आई एम रॉकिंग’, सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता, 14 फरवरी को आतंकियों के साथ मुठभेड़
chetan chita

गौरतलब है कि कश्मीर के बांदीपोरा डिस्ट्रिक्ट में 14 फरवरी को हाजिन एरिया में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान तीन जवान शहीद हुए थे और एक आतंकी मारा गया था। एनकाउंटर में चेतन चीता भी बुरी तरह जख्मी हुए थे। उन्हें नौ गोलियां लगी थीं।

चेतन को पहले श्रीनगर के मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां ब्लड को रोकने के लिए दवाई दी गई थी और बाद में प्लेन से दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था।

40 जख्म के बावजूद ‘चीते’ ने दी मौत को मात

एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि जब उन्हें भर्ती कराया गया था तब चेतन चीता के शरीर में कई गंभीर चोटें थीं। उनके शरीर से खून बह रहा था। दोनों हाथों में फ्रैक्चर था, चेहरे में कई चोट थी और दाई आंख पर बुलेट इंजरी थी।

चीता का इलाज करने वाले डॉ अमित गुप्ता ने बताया कि उनके ब्रेन में इंजरी थी इसलिए उनके सिर का ऑपरेशन किया गया है। ये ऑपरेशन 15 फरवरी को किया गया। उन्होंने बताया कि उनकी सीधी आंख की आईबॉल में भी बुलेट इंजरी थी। इसकी वजह से उनकी आईबॉल में छेद था और उसका भी ऑपरेशन किया गया।

चीता को वेंटिलेटर पर रखा गया था। सांस लेने के लिए उनके गले में छेद किया गया था ताकि वह आसानी से सांस ले सके। उनके पैर में भी चोट थी। अब उन्हें स्पीच थेरिपी भी दी जा रही है ताकि वह सही से बोल सकें। उन्हें एक महीने तक आईसीयू केयर में रखा गया है।

कमांडेंड चीता का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि उनके इलाज के लिए 100 से ज्यादा का स्टॉफ लगा हुआ था। इसमें डॉक्टरों के अलावा अन्य स्टॉफ जैसे नर्स, टेक्नीशियन और ब्लड बैंक स्टॉफ के लोग शामिल थे।

उन्होंने बताया कि कमांडेंड चीता के आत्मविश्वास के चलते वह इतनी जल्दी अस्पताल से वापस लौट सके। चिकित्‍सकों का कहना है कि अमूमन ऐसे मामलों में मरीज को दो महीनों से दो साल तक का समय लग जाता है।

बुधवार को कमांडेंट चीता चेतन से मुलाकात करने गए केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री किरण रिजिजू ने चीता से  कहा, मैं तुम्हें फिर से ड्रेस में देखना चाहता हूं।  अस्‍पताल के बाहर रिजिजू ने पत्रकारों से कहा कि चेतन की हालत अब बहुत बेहतर है। यह चमत्कार है। जैसी हालत में उन्हें श्रीनगर से यहां लाया गया था, यह सोच पाना बड़ा मुश्किल था कि वह मुझसे बात करेंगे

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