कोलकाता| दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी, अर्पणा सेन और लिलेट दुबे ने हिंसा की स्थिति में कानून और व्यवस्था कायम रखने में राज्य की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए ‘बनावटी असंतोष’ पर चिंता व्यक्त की। शबाना ने अपनी आगामी फिल्म ‘सोनाटा’ से जुड़े एक सत्र ‘टेक्स्ट टू कनेक्स्ट’ में कहा, “किसी भी लोकतंत्र में असंतोष व्यक्त करना मौलिक अधिकार होता है। अगर आपको कोई फिल्म पसंद नहीं है, तो उसे मत देखें, कोई किताब पसंद नहीं है, तो उसे मत पढ़ें। लेकिन आप कानून और व्यवस्था की ऐसी स्थिति पैदा नहीं कर सकते, जिससे हिंसा हो। ऐसे में प्रशासन की भूमिका आती है और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता।”
शबाना ने कहा, “यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।” वहीं अर्पणा सेन ने कहा, “सेंसर बोर्ड को कानून और व्यवस्था की शायद ज्यादा चिंता रहती है, इसलिए वह कहता है, ‘नहीं, यह दृश्य काटो, इससे कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा होगी।’ लेकिन प्रशासन को कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी लेनी होगी।”
शबाना ने कहा, “अगर प्रशासन हालात को को संभालना चाहे, तब भी संभाल नहीं सकता, यह मानना बेहद मुश्किल है।” शबाना ने असंतोष को लेकर कहा, “मैं नहीं जानती कि कितना असंतोष असली है और कितना बनावटी। मैं नहीं जानती कि कितना असंतोष सचमुच लोगों को नाराज कर रहा है और उसमें से कितना बनावटी असंतोष है।”
उन्होंने कहा, “दस लोग परेशान हो जाते हैं और कहते हैं कि इस फिल्म को लेकर उन्हें ऐतराज है या उस नाटक से उन्हें ऐतराज है और उसके बाद अचानक कुछ लोग, जिन्होंने जिंदगी में कुछ नहीं किया आ खड़े होते हैं और टीवी कैमरे उन्हें क्षणिक लोकप्रियता दे देते हैं। प्रेस को इस स्थिति से निपटना होगा।” अभिनेत्री ने कहा, “आपको खबर देनी है, लेकिन आप इन दस लोगों की बात को महत्व दें, उससे पहले आपको जानना चाहिए कि समाज में उनका क्या स्थान है और उनकी बात का कोई अस्तित्व है भी या नहीं!”