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सीबीएफसी अपने अंदर सर्वसम्मति बनाए : सोनाक्षी

बरखा दत्त, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, सीबीएफसी, फिल्म नूर, आयशा खान

नई दिल्ली | केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा ‘नूर’ फिल्म से अनुभवी पत्रकार बरखा दत्त का संदर्भ हटाने की मांग किए जाने के बाद, फिल्म की मुख्य महिला किरदार सोनाक्षी सिन्हा ने कहा कि सेंसर बोर्ड को फिल्मों के प्रति एक समान रखना चाहिए।

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सोनाक्षी ‘नूर’ में एक पत्रकार की भूमिका में हैं, जिनका आदर्श बरखा दत्त हैं, लेकिन सीबीएफसी ने निर्माताओं से उनका उपनाम हटाने के लिए कहा है। इस बारे में पूछे जाने पर सोनाक्षी ने कहा, “सेंसर बोर्ड को अपने भीतर एक सर्वसम्मति बनाने की जरूरत है कि एक फिल्म में क्या सही है.. और दूसरी फिल्म में क्या नहीं सही है।”

उन्होंने कहा, “वह क्या सेंसर करते हैं और क्या नहीं करते हैं, इसमें कोई एकरूपता नहीं है, इसलिए मुझे लगता है कि उन्हें पहले एक सर्वसम्मति बनाने की आवश्यकता है।” सुनिल सिप्पी द्वारा निर्देशित यह फिल्म सबा इम्तियाज के पाकिस्तानी उपन्यास ‘कराची, यू आर किलिंग मी!’ का रूपांतरण है। यह उपन्यास लगभग 20 वर्षीया संवाददाता आयशा खान और उसके भटकाव व एक अच्छा प्रेमी पाने के इर्द-गिर्द घूमती है। आयशा कराची में रहती है।

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