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एनजीटी की रविशंकर को फटकार, कहा- नहीं है जिम्मेदारी का अहसास

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण, एनजीटी, श्री श्री रविशंकर, एओएल, केंद्र सरकार, मनोज मिश्रा, आर्ट ऑफ लिविंग

नई दिल्ली | एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण)  ने गुरुवार को आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) के संस्थापक श्री श्री रविशंकर को कड़ी फटकार लगाई। रविशंकर ने एओएल के विश्व संस्कृति महोत्सव के दौरान यमुना के इलाके को नुकसान पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार बताया था। इसी पर एनजीटी ने उन्हें आड़े हाथ लिया। एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा, “सिर्फ एक आवेदन दर्ज कर देने से आप को स्वतंत्रता नहीं मिल जाती की आप जो चाहे कहें।

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आप के अंदर जिम्मेदारी का कोई अहसास नहीं है।” याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा की तरफ से वकील संजय पारिख ने पीठ को रविशंकर के बयान के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने सरकार और एनजीटी को एओएल को बीते साल यमुना खादर में विश्व संस्कृति महोत्सव के आयोजन की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि अगर यमुना इतनी ही नाजुक है, तो फिर वहां कार्यक्रम की अनुमति ही क्यों दी गई।

इसी के बाद पीठ ने यह टिप्पणी की। जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति ने कहा कि इस समारोह से यमुना के 300 एकड़ से ज्यादा इलाके में पारिस्थितिकीय तंत्र को नुकसान पहुंचा है। इस पर रविशंकर ने जवाब देते हुए कहा कि यदि यमुना ‘इतनी ही नाजुक और शुद्ध’ थी तो अधिकारियों को उत्सव के आयोजन को अनुमति नहीं देनी चाहिए थी।

रविशंकर ने यह भी कहा कि जुर्माना उन पर नहीं बल्कि एनजीटी और केंद्र व दिल्ली सरकार पर उत्सव को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए लगाया जाना चाहिए। एनजीटी ने रविशंकर से रिपोर्ट पर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। उनके पास इस पर आपत्ति दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय है। इसकी अगली सुनवाई 9 मई को होगी।

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