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कंपनियों के तिमाही नतीजे तय करेगी शेयर बाजार की चाल

लाल निशान में खुले शेयर बाजार, निफ्टी 10हजार से नीचेbse

नई दिल्ली| शेयर बाजार में अगले सप्ताह उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहने की उम्मीद है। बाजार की चाल कंपनियों के तिमाही नतीजों के आंकड़े, घरेलू और वैश्विक व्यापक आर्थिक आंकड़े, वैश्विक बाजार के रुझान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के रुख, डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों पर तय होगी।

भारतीय शेयर बाजार, कच्चे तेल की कीमतों, घरेलू संस्थागत निवेशकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक

जिन प्रमुख कंपनियों की वित्तवर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के नतीजों पर निवेशकों की नजर होगी, उनमें बाटा इंडिया और कोलगेट-पॉमोलिव की मार्च तिमाही के नतीजे सोमवार को आएंगे। पंजाब नेशनल बैंक, श्री सीमेंट और टाटा स्टील अपनी तिमाही नतीजे मंगलवार को जारी करेगी।

हिन्दुस्तान यूनीलीवर और जेएसडब्ल्यू स्टील बुधवार को अपने नतीजे की घोषणा करेंगे। ग्रासिम इंडस्ट्रीज, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और टाटा पॉवर के नतीजे शुक्रवार को जारी किए जाएंगे।

घरेलू व्यापक आर्थिक आंकड़ों में सरकार ने शुक्रवार (12 मई) को शेयर बाजार बंद होने के बाद औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े जारी किए, जिसका असर अगले हफ्ते बाजार पर देखने को मिलेगा।

विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण देश के औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार मार्च में गिरकर 2.7 फीसदी रही। नए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में संशोधित आधार वर्ष 2011-12 को शामिल किया है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2016 के मार्च में आईआईपी की दर 5.5 फीसदी थी, जबकि 2017 के फरवरी में यह 1.9 फीसदी दर्ज की गई।

मार्च के आईआईपी आंकड़ों से पता चलता है कि बिजली उत्पादन में 6.2 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि खनन में 9.7 फीसदी की तेजी आई है। हालांकि विनिर्माण में सुस्ती रही और यह 1.2 फीसदी रही, जबकि 2017 के फरवरी माह में यह 1.4 फीसदी थी।

थोक मूल्य पर आधारित देश की सालाना महंगाई दर में खाद्य पदार्थो, ईधन और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण पिछले महीने गिरावट देखने को मिली है और यह 3.85 फीसदी दर्ज की गई है, जबकि मार्च में इसकी दर 5.29 फीसदी थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों के आधार वर्ष में बदलाव किया गया है और इसे वित्त वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया है।

डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की सालाना दर पिछले साल अप्रैल में घटकर नकारात्मक 1.09 फीसदी थी। देश की खुदरा महंगाई दर पिछले महीने घटकर 2.99 फीसदी रही, जिसमें खाद्य पदार्थो की कीमतों में गिरावट का सबसे ज्यादा योगदान रहा है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर पिछले साल के अप्रैल माह में 5.47 फीसदी थी, जिसमें इस साल गिरावट दर्ज की गई है। समीक्षाधीन माह में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) गिरकर 0.61 फीसदी रहा, जबकि मार्च में यह 2.01 फीसदी था।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण भारत में सालाना खुदरा मुद्रास्फीति दर 3.02 फीसदी रही, जबकि शहरी भारत की मुद्रास्फीति दर 3.03 फीसदी रही।

वहीं, वैश्विक मोर्चे पर चीन के औद्योगिक उत्पादन के मार्च के आंकड़े सोमवार को जारी किए जाएंगे। अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े मंगलवार को जारी किए जाएंगे। जापान के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े बुधवार को आएंगे।

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