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तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सुनवाई खत्‍म

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में तीन तलाक के मुद्दे पर 11 मई से चल रही सुनवाई अब खत्म हो गई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने माना कि वह सभी काजियों को अडवाइजरी जारी करेगा कि वे ट्रिपल तलाक पर न केवल महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिक गई हैं।

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बता दें कि बुधवार को तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सु्प्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से पूछा था कि क्या निकाह के समय ‘निकाहनामा’ में महिला को तीन तलाक के लिए ‘ना’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है?  खेहर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने पूछा- क्या यह संभव है कि किसी महिला को निकाह के समय यह अधिकार दिया जाए कि वह तीन तलाक को स्वीकार नहीं करेगी?

कोर्ट ने पूछा कि क्या AIMPLB सभी काजियों को निर्देश जारी कर सकता है कि वे निकाहनामा में तीन तलाक पर महिला की मर्जी को भी शामिल करें। इस पर सिब्बल ने कहा था कि बोर्ड के सभी सदस्यों के बात करने के बाद इसका जवाब दिया जाएगा।

साथ ही जजों ने कोर्ट में ही कुरान की आयतें पढ़कर कहा कि इसमें तीन तलाक का कोई जिक्र ही नहीं है। उधर, दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा कि ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। जो चीज वैकल्पिक हो, पाप हो या जिसे अवांछित कहा जा रहा है वो धर्म का अभिन्न हिस्सा कैसे हो सकती है। तीन तलाक पर पांचवे दिन की बहस में ये बातें निकलकर सामने आईं।

वहीं, बोर्ड की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि AIMPLB इस मामले में काजियों को अडवाजरी जारी करने को तैयार है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट को इस रीति की वैधता जानने में नहीं पड़ना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि किसी समुदाय विशेष के रीति-रिवाजों की वैधता की जांच बेहद नाजुक मामला है और कोर्ट को इसमें नहीं पड़ना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा, ‘एक रीति जो धर्मशास्त्र के हिसाब से पाप है, वह आखिर कैसे समुदाय के रीति-रिवाजों का हिस्सा हो सकता है?’ वहीं, इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता सायरा बानो की ओर से पेश वकील अमित चड्ढा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि ट्रिपल तलाक पाप है और यह मेरे और मेरे बनाने वाले के बीच एक दीवार है।’

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ashish bindelkar