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सामरिक भागीदारी प्रक्रिया 6 महीने में : नौसेना प्रमुख

New Delhi: Indian Navy chief Admiral Sunil Lanba addresses during a seminar on `€˜Building India's Future Navy: Technology Imperatives' in New Delhi, on May 31, 2017. (Photo: IANS)

नई दिल्ली| नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने बुधवार को उम्मीद जताते हुए कहा कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को शामिल करने की प्रक्रिया छह महीने में शुरू हो जाएगी।

लांबा से जब पूछा गया कि हाल ही में किस रणनीतिक साझेदारी मॉडल को मंजूरी मिली है, तो उन्होंने कहा, “सभी तीन सेवाओं को पहले एओएनएस (एक्सेपटेंस ऑफ नेसिसिटी) स्वीकार्यता हासिल करनी होगी, जिसके बाद हम रणनीतिक साझेदार के साथ मिलकर काम करेंगे। उम्मीद है कि हम इस प्रक्रिया को छह महीने के भीतर शुरू करने में सक्षम होंगे।”

इससे पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एफआईसीसीआई) और नौसेना द्वारा आयोजित ‘बिल्डिंग इंडियास फ्यूचर नेवी’ संगोष्ठी को संबोधित करते हुए लांबा ने कहा था कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र में यह नीति एक लंबा रास्ता तय करेगी।

लांबा के अनुसार, “अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को सामरिक साझेदारी मॉडल के साथ एक बड़े बदलाव से गुजरना है। मेक इन इंडिया जैसी परियोजनाओं के साथ यह नीति विकास के लिए सतत मॉडल तैयार करने और आला प्रौद्योगिकियों वाले उपकरण के निर्माण की दिशा में काफी मददगार साबित होगी।”

रणनीतिक साझेदारी नीति के तहत प्रतिष्ठित भारतीय कंपनियों के साथ लंबी अवधि की रणनीतिक साझेदारी की स्थापना शामिल है, जिसमें भारतीय कंपनियां वैश्विक निर्माणकर्ताओं के साथ संबंध स्थापित करेंगी।

इस मॉडल के लिए वर्तमान में चार क्षेत्रों को अंतिम रूप दिया गया है, जिसमें लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, पनडुब्बियां और लड़ाकू वाहन और मुख्य युद्धक टैंक शामिल हैं।

इस नीति को 20 मई को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने मंजूरी दे दी थी, और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24 मई को इस पर गौर किया।

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Dileep Kumar
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