Uttar Pradesh

घरेलू कामगारों के लिए बने अलग श्रम कानूनः राम भरोस

अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस, घरेलू कामगारों के लिए अलग श्रम कानून, घरेलू कामगारों के लिए अलग श्रम बोर्ड बनाने की मांगPress Confrence

अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर अलग श्रम बोर्ड बनाने की मांग

फैजाबाद। निर्माण मजदूर यूनियन के सचिव राम भरोस ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में ऐसी अंशकालिक, पूर्णकालिक, कुशल-अर्द्धकुशल, अकुशल घरेलू कामगार हैं, जिनके काम करने की स्थितियों, सेवा शर्तों, सामाजिक सुरक्षा आदि को लेकर कोई कानून या शासनादेश तक मौजूद नहीं है। घरेलू कामगार असंगठित क्षेत्र का निर्माण श्रमिकों के बाद दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा हैं।

अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस, घरेलू कामगारों के लिए अलग श्रम कानून, घरेलू कामगारों के लिए अलग श्रम बोर्ड बनाने की मांग
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राम भरोस अंतराष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर असंगठित कामगार अधिकार मंच उत्तर प्रदेश और अवध पीपुल्स फोरम की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

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राम भरोस ने कहा कि इन घरेलू कामगार में 90 फीसदी कामगार महिलाएं व बच्चियां हैं जो समाज के सबसे निचले तबके-अनुसूचित जाति व जनजाति से आती हैं। हाड़-तोड़ मेहनत करने वाली यह बड़ी आबादी घोर गरीबी, अपमान, उत्पीड़न, उपेक्षा और अनिश्चितता का जीवन जीने को मजबूर है।

तमाम सुझावों और दबावों के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर घरेलू कामगारों के लिए कानून बनाने की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

सरकार के सामने ऐसे कानून के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले दो विधेयक के मसौदे क्रमशः 2008 व 2010 में प्रस्तुत किए गए पर सरकार ने उन पर कोई निर्णय नहीं लिया।

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों द्वारा घरेलू कामगारों के हित में कानून बनाने के दिशा-निर्देश हेतु जो मसौदा राष्ट्रीय नीति तैयार की, उसे भी अन्तिम रूप नहीं दिया जा सका।

यही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सौवें सम्मेलन में साल 2013 में घरेलू कामगारों से सम्बन्धित जो कन्वेंषन पारित हुआ, उसकी भी भारत सरकार ने अभी तक अभिपुष्टि ;तंजपपिबंजपवदद्ध नहीं की है।

महिला सेना की संयोजक भारती सिंह ने कहा कि अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा जैसे कुछ राज्यों के जैसे शासनादेश/नोटिफिकेशन जारी करके घरेलू कामगारों को न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम के तहत शामिल किया है।

अक्टूबर 2016 में असंगठित क्षेत्र कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम की नियमावली भी बना ली है जिसमें घरेलू कामगारों को शामिल किया गया है ये दोनों कदम सराहनीय हैं परन्तु इनसे घरेलू कामगारों को अतिसीमित व अपर्याप्त अधिकार ही मिलेंगे।

हम राज्य सरकार से माँग करते हैं कि वह उत्तर प्रदेश के घरेलू कामगारों के हित में अविलम्ब एक कानून बनाकर उन्हें आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा कानूनी तौर पर प्रदान करे और पूरे देश के राज्यों के सामने एक नज़ीर पेश करे।

सावित्री बाई फुले सिलाई एवं कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र के सचिव शिव सामंत मौर्या ने कहा कि यह बात गौर करने लायक है कि घरेलू कामगारों में 95 प्रतिशत से भी अधिक आबादी महिलाओं की है।

वे स्त्री होने के नाते भी कई तरह के उत्पीड़न, सामाजिक-आर्थिक पराधीनता व सामाजिक असुरक्षा की शिकार हैं। ऐसे में घरेलू कामगारों के हित में कानून निर्माण महिला सशक्तीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

अवध पीपुल्स फोरम के संयोजक आफाक उल्लाह ने कहा कि हम लम्बे समय से असंगठित कामगारों के हक के लिए विभिन्न मंचों, यूनियनों के साथ काम करते चले आ रहे है।

असंगठित कामगारों की स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है. उनको सामाजिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। जिससे उनकी एवं उनके परिवार की जिन्दगी बेहतर हो सके। इस दिशा में हम जल्द ही घरेलु कामगारों को संगठित करते हुए उनका एक सम्मलेन फैजाबाद में करेंगे।

हमारी मांगें-

घरेलू कामगारों को श्रम कानूनों के दायरे में लाने के लिए तथा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए यथाशीघ्र अलग से एक कानून बनाया जाए।

ऐसा करने के पहले शासनादेश/नोटिफिकेशन के ज़रिए सरकार उन्हें कुछ बुनियादी अधिकारों जैसे न्यूनतम मज़दूरी (जो अप्रैल माह से कर दिया गया है), पंजीकरण, ओवरटाइम दर, चिकित्सा सुविधा आदि प्रदान करे।

इन प्रावधानों के अमल की निगरानी और देख-रेख हेतु घरेलू कामगारों के लिए एक अलग बोर्ड व श्रम विभाग में अलग प्रकोष्ठ (सेल) की स्थापना की जाए।

ऽ सभी कुशल-अर्द्धकुशल-अकुशल घरेलू कामगारों के श्रम विभाग में अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था की जाए। इसके लिए श्रम कार्यालयों में विशेष प्रकोष्ठ बनाए जाएं जो पंजीकरण के साथ घरेलू कामगारों से जुड़े सभी मामलों की देख-रेख के लिए जि़म्मेदार हो।

पंजीकृत घरेलू कामगारों के सेवायोजन व प्लेसमेंट की व्यवस्था श्रम कार्यालयों से ही हो।

ऽ घरेलु कामगारों के काम के घंटे निर्धारित किए जाएं और उनके लिए साप्ताहिक छुट्टी और अन्य अवकाशों के प्रावधान किए जाएं।

अंशकालिक घरेलू कामगारों की न्यूनतम मज़दूरी काम की प्रकृति व उसमें लगने वाले समय के आधार पर तय की जाए। जैसे खाना बनाने, बर्तन धोने की मज़दूरी घर के सदस्यों की संख्या के हिसाब से और साफ-सफाई की मज़दूरी दर मकान के क्षेत्रफल या कमरों के हिसाब से तय हो। अवकाश के दिनों में काम के लिए दूनी दर पर ओवर टाइम का निर्धारण हो।

सभी घरेलू कामगारों के लिए प्रोविडेंट फंड, ई.एस.आई, पेंशन, बीमा की व्यवस्था हो। त्योहारों पर बोनस की दर सुनिश्चित की जाए।

घरेलू कामगारों के कार्यस्थल के निकट, अपार्टमेंट व कॉलोनियों में उनके लिए खाने-पीने और आराम करने के लिए साफ पानी, शौचालय, छाया, बिजली युक्त विश्राम स्थल बनाए जाएं। यहीं पर छोटे बच्चों की देखभाल के लिए पालनाघर (क्रेश) की व्यवस्था हो।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न या किसी भी प्रकार के उत्पीड़न पर कठोर निगरानी व त्वरित कार्यवाही के लिए पुलिस थानों पर विशेष सेल स्थापित किए जाएं।

प्रेस वार्ता में मुख्य रूप से विनीत मौर्या, दीपक कुमार मोहम्मद अली, आशीष कुमार, जुहैर अब्बास और गौरव सोनकर विभिन्न संस्थाओं / संगठनों की ओर से मौजूद रहे।

 

 

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