नई दिल्ली। संविधान के मुताबिक चुनाव आयोग अपनी सुविधा को देखते हुए समय से पहले ही चुनाव करवा सकता है। ऐसे में खबरें आ रहीं हैं कि अगले साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव भी करवाए जा सकते हैं।लोकसभा का कार्यकाल मई 2019 में समाप्त होगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इसके चलते अगले चुनाव साल के अंतिम दो महीनों (नवंबर-दिसंबर 2018) में करवाए जा सकते हैं। पीएम मोदी ने भी कई बार इसपर हामी भरी और अपनी राय जाहिर की है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी चुनाव सुधारों की वकालत की थी। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए।
अगर तमाम राजनीतिक दल प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग की इस अपील को मान लेते हैं तो कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी एकसाथ हो सकते हैं। दरअसल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम की विधानसभाओं का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है। इसके अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में भी विधानसभा चुनाव इन प्रस्तावित चुनावों के साथ करवाए जा सकते हैं।
इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अप्रैल 2019 तक है। माना जा रहा है कि अगर इस प्रक्रिया को अगले लोकसभा चुनावों से लागू कर दिया जाए तो 10 साल में ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे।
इस तरह के फैसले की ये है वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है। हालांकि समय से पहले चुनाव करवाने के लिए अलग-अलग राज्यों और विपक्षी पार्टियों को मनाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।