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इन सेक्स वर्कर्स की बेटियों ने बयां किया अपना दर्द, रोने लगे लोग

नई दिल्ली : कविता होस्मानी हमेशा से एक सूफी गायक बनना चाहती थी लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। चार साल की थी जब कविता के पिता का निधन हो गया। और फिर सिलसिला शुरू हुआ एक ऐसे दौर का जिसे कविता ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।

इन सेक्स वर्कर्स की बेटियों ने बयां किया अपना दर्द, रोने लगे लोग

इस वीडियो को सिर्फ लड़कियां ही देखें, लड़के इसे बिलकुल न देखे

मबंई की कविता एक सेक्स वर्कर की बेटी है। बचपन से ही शोषण और क्रूरता को देखते आ रही कविता के साथ ऐसे ही कई और लड़कियां है जो जल्द दुनिया के सबसे बड़े आर्ट फेस्टिवल ईडनबर्ग फ्रिंज में अपनी परफॉर्मेंश देने के लिए पहुंची है। वहीं इस फेस्टिवल में 15 से 22 साल की सेक्स वर्कर लड़कियों ने हिस्सा लिया है। कविता बताती है कि हमारे एरिया में हर तरह के लोग आते है उनमें पुलिस भी होते है जो सेक्स के लिए मुझसे सेक्स की इच्छा जाहिर करते है साथ ही पैसे भी देते है। मैंने सबकुछ देखा है और मुझे इसे छिपाने की कोई जरूरत नहीं। ये हमारे जीवन का एक हिस्सा है।

इस ग्रूप का नाम ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’ है जिनका प्रीमियर फ्रिंज जाने से पहले ही लदंन में किया जा चुका है। इसके अलावा ये सभी लड़कियां थिएटर ,क्मयूनिटी सेंटर, ब्रिटेन के आसपास मंदिरों के में भी परफॉर्मेंश देंगी। ये सेक्स वर्कर कमाठीपुरा की NGO ‘क्रांति’ की मदद से इस संस्था से जुड़ी है। लाल बत्ती में आने वाली इन लड़कियों की कहानी अलग-अलग है जिनमें तस्करी, किडनैपिंग …सभी शामिल है। ये सभी लड़कियों इस समय UK में सेक्स वर्कर के यहां ही रुकीं हुई हैं।

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कविता बताती ही कि UK में इन लड़कियों से मिलना बेहद खास है सेक्स वर्कर होने के नाते हम एक दूसरे को समझते हैं क्योंकि हम एक जैसे ही हलातों से गुजर रहे हैं। दर्शक के तौर पर ज्यादातर स्कौट सर्विस देने वाले होते है। हमारी परफॉर्मेंश को देख वो रो हैं। इन्ही में से एक 16 साल की रानी भी इसी दौर से गुजर रही है उसकी मुस्कान किसी कमरे में रौशनी भर देने जैसी है। रानी 16 साल की थी जब उसके पिता का निधन हुआ। मां अगले दिन एक नए पिता लेकर आती है। लेकिन पिता के रूप में वो हैवान निकलता है उन्हें  नाही पत्नी समझा ना ही बेटी। रानी की बाते किसी को भी मोह लेंगी उसने कहा मैंन 16 साल की उम्र में ही सीखा है कि जीवन में खुद के लिए आप ही सबसे बड़े उपहार है और दूसरा किसी को माफ करना हैँ।

‘लालबत्ती एक्सप्रेस’ के अमेरिकन को-फाउंडर रॉबिन चौरसिया ने कहा इस परफॉर्मेंश के जरिए ‘लाल बत्ती एक्सप्रेस’ का मकसद सिर्फ एक कहानी नहीं बताना बल्कि सेक्स वर्करों के बारे में रूढ़िवाद सोच को चुनौती देना भी है। उन्होंने बताया कि थियेटर लड़कियों को आत्मविश्वास देता है उनके साथ हुए गलत से उबरने में उनकी मदद करता है। थिएटर थेरेपी की वजह से इन लड़कियों में अगल सा आत्मविश्वास देखने को मिला है। उन्हें अपने शरीर को नकारात्मक चीजो से बचाने का तरीका मिला है।

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मनोविज्ञान का अध्यन कर रहे अश्विनी भी जल्द न्यूयार्क जाने वाली है उन्होंने बताया कि शो के दौरान इन लड़कियों जबरदस्त कान्फिडेंस देखने को मिला। उन्होंने बताया कि यहां मौजूद लड़कियों के साथ बहुत कुछ घटना घटी है जिनसे वो बूरी तरह टूट चुकी थी यहां तक कि ये आत्मविश्वास मुबंई में देखने को नहीं मिला जो मैं आज मुझे शो के दौरान इन लड़कियों में देखने को मिला है। बता दें कि ये लड़कियां अगले सप्ताह ग्लास ग्लो,एल्गिन में परफॉर्म करने वाली है। 

 

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