इंदौर। मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले करोड़पति कारोबारी सुमित राठौर और उनकी पत्नी अनामिका अपनी 3 साल की मासूम बेटी और करीब 100 करोड़ की संपत्ति को त्यागकर संन्यासी बन गए हैं। अब उनका किसी से कोई रिश्ता नहीं होगा। अपनी तीन साल की मासूम बेटी इभ्या से भी उनका कोई रिश्ता नहीं होगा। रिश्तेदार ही अब उनकी बेटी को संभालेंगे।
दोनों की शादी लगभग 4 साल पहले हुई थी। अनामिका के पिता अशोक चंडालिया, चित्तौड़गढ़ में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। सुमित लंदन से पढ़ाई करके वहीं काम कर रहे थे उसके बाद वो अपने परिवार का काम संभालने के लिए वापस नीमच लौट आए। वहीं, अनामिका भी इंजीनियर हैं और वह हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में काम कर चुकी हैं।
शनिवार 23 सितम्बर की सुबह गुजरात के सूरत में जैनाचार्य रामलाल महाराज ने सुमित को भगवती दीक्षा दी, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दखल के बाद सुमित की पत्नी अनामिका को दीक्षा नहीं दी जा सकी। अनामिका की दीक्षा भले ही रुक गई, पर वो अभी भी फैसले पर कायम है। अनामिका ने कहा कि वह दीक्षा होने तक वैराग्यकाल ही बिताएगी। अभी संघ और गुरु की मर्यादा के लिए उसकी दीक्षा रोकी गई है।