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बंगाल के दुर्गा पूजोत्सव में ‘दीदी शो’

कोलकाता, 25 सितंबर (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान आम दिनों से कहीं ज्यादा व्यस्त हो गई हैं। प्रशासनिक कार्यक्रमों व बैठकों में शामिल होने के अलावा ‘दीदी’ (ममता बनर्जी) शहर के विभिन्न पंडालों में जाकर उत्सव के उत्साह, जोश व ऊर्जा को महसूस कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने एक पंडाल में जहां देवी की आंखों का चित्र बनाया, वहीं दूसरे के लिए थीम गीत लिख डाला और वह अपने लिखे गीतों की सीडी लेकर आ रही हैं। ममता इस बड़े उत्सव के दौरान अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाने का कोई मौका नहीं चूक रही हैं।

वह बड़े बजट के एक सामुदायिक पूजा पंडाल और इसके सहायक पूजा पंडालों की स्टार उद्घाटनकर्ता रहीं। ममता ने संक्षिप्त उद्घाटन भाषण में अपनी जमीन से जुड़ी शैली में न केवल सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर दिया, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी हमला बोला।

ममता ने अपनी रचनात्मकता दर्शाते हुए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को आकर्षित करने वाले दक्षिण कोलकाता के सुरुचि संघ (क्लब) के लिए थीम गीत केबोल भी लिखे।

मुख्य आयोजक अरूप बिस्वास ने उम्मीद जताई है कि श्रेया घोषाल का गाया यह गीत बेहद सफल होगा।

बिस्वास ने आईएएनएस को बताया, यह हमारे लिए बेहद सम्मान की बात है कि मुख्यमंत्री ने लगातार तीसरे साल हमारे लिए थीम गीत लिखने का समय निकाला। इससे पहले ऐसे दो अवसरों पर हमारे स्टॉल से उनके कई थीम गीत वाले सीडी बिक चुके हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि उनका गीत ‘एकतार जोयोगान’ (एकता का जयगान) इस साल भी बेहद लोकप्रिय होगा।

हालिया रिलीज पूजा अल्बम ‘मातृ मां’ के नौ गीत ममता बनर्जी ने लिखे हैं और मशहूर बांग्ला गायकों, जैसे इंद्रनील सेन और रूपांकर ने इसे गाया है।

तृणमूल नेताओं ने बताया कि कई पूजा समितियों ने ममता के गीत वाले अल्बम के लिए ऑर्डर दिए हैं और ये गीत यहां के पंडालों में सुने जा सकते हैं।

महालया (देवी के घर पधारने का मुहूर्त) के दिन ममता ने चेतला अग्रणी क्लब में देवी दुर्गा की आंखों की चित्रकारी की।

उन्होंने नकटाला उदयन संघ के दुर्गा पूजा पंडाल का भी उद्घाटन किया।

मुख्यमंत्री ने यहां ‘कन्याश्री’ (ममता का नाबालिग लड़कियों की शादी को रोकने और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की योजना) स्टॉल को भी देखा।

हालांकि दुर्गा की मूर्तियों के विसर्जन को लेकर ममता की की घोषणा विवाद का कारण बनी।

कुछ दिनों पहले उन्होंने घोषणा की थी कि एक अक्टूबर को मुहर्रम है, इसलिए उस दिन देवी की मूर्ति का विसर्जन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विसर्जन अगले दिन किया जाए। उनका मानना था कि मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है, असामाजिक तत्व ऐसे मौकों की ताक में रहते हैं। इसलिए उन्हें दंगा कराने का मौका न दिया जाए, लेकिन भाजपा समर्थक दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों ने ममता के इस प्रतिबंध का विरोध किया।

उधर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के निर्देश को रद्द कर दिया और दशहरा के बाद मुहर्रम सहित सभी दिन, मध्यरात्रि तक मूर्ति विसर्जन की अनुमति दे दी।

कानून व्यवस्था का मसला होने के नाते राज्य के गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य ने कहा कि मूर्ति विसर्जन की अनुमति राज्य प्रशासन के फैसले के अनुसार दी जाएगी।

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