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गौरी लंकेश की हत्या के खिलाफ 5 अक्टूबर को दिल्ली में रैली

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| जानी मानी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या से पूरे देश में आक्रोश की लहर है। राष्ट्रीय राजधानी में 5 अक्टूबर को ‘जस्टिस फॉर गौरी’ (गौरी को न्याय दो) नारे के साथ 1 बजे मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक रैली निकाली जाएगी, उसके बाद जनसभा होगी। विभिन्न पत्रकार संगठनों ने इस रैली में उन लोगों से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की है, जो देश में लोकतंत्र को बचाए रखना चाहते हैं। इस रैली में लेखकों, कलाकारों सहित तमाम बुद्धिजीवियों से शामिल होने की अपील की गई है।

रैली के आयोजकों में से एक ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेंस एसोसिएशन (ऐपवा) की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है पत्रकारिता, जिस पर आज खतरा मंडरा रहा है। आए दिन कई राज्यों में पत्रकार की हत्या की खबरें आ रही हैं। सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकारों को धमकाया जा रहा है। ऐसे में कोई कैसे उम्मीद कर सकता है कि गौरी लंकेश को न्याय मिलेगा या किसी और पत्रकार की हत्या नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि गोरक्षा के नाम पर हत्या की बात हो या गौरी लंकेश की हत्या की बात, केंद्र सरकार के मंत्री यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह राज्य की कानून व्यवस्था का मसला है। क्या केंद्रीय गृह मंत्रालय का कोई दायित्व नहीं है?

कविता कृष्णन ने कहा, हमारा मानना है कि कर्नाटक में प्रख्यात विद्वान एम. एम. कलबुर्गी की हत्या के दो साल बाद गौरी लंकेश की हत्या कोई अलग-थलग घटना नहीं है। इससे पहले गोविंद पनसारे और नरेंद्र दाभोलकर जैसे तर्कवादियों की महाराष्ट्र में जो हत्याएं हुईं, वे भी इन हत्याओं से मिलती-जुलती हैं।

उन्होंने कहा, ये सारी घटनाएं 1990 के दशक से जारी दक्षिणपंथी विचारधारा के खतरनाक फैलाव का ही हिस्सा हैं। आज ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए कई खतरे हैं, जो सांप्रदायिकता का मुकाबला करते हैं। शांतनु भौमिक की हत्या कर दी गई, बहुजन बुद्धिजीवी कांचा इलैया को पहले धमकी दी गई, फिर उन पर हमला किया गया। आखिर देश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं सत्ताधारी लोग?

इस बीच कन्नड़ फिल्मों के अभिनेता प्रकाश राज ने गौरी लंकेश की हत्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर नाराजगी प्रकट की है।

डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्टेट मीट में उन्होंने कहा, गौरी लंकेश के हत्यारों का पता या न चले, लेकिन जिस तरह एक बड़ी भीड़ सोशल मीडिया पर उनकी मौत को सेलिब्रेट कर रही है, वह परेशान करने वाली बात है। हम जानते हैं कि ये लोग कौन हैं और उनकी क्या विचारधारा है। इनमें से कई ऐसे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी फॉलो करते हैं। यह चिंताजनक है कि हमारा देश किधर जा रहा है।

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