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परंपरा के नाम पर मासूम बच्चों की जान से हो रहा खिलवाड़

 

बैतूल। दिन ब दिन बदलते परिवेश में आदमी आजकल इतना आगे बढ़ गया है कि धरती-आसमान तक की दूरी को एक क्लिक में समेट लिया है, वहीं दूसरा चेहरा यह भी है कि ये रूढिवादी परंपराएं सदियों बाद भी वहीं स्थिर हैं, लिहाजा समय बदलने के बाद भी उन परंपराओं का पालन किया जा रहा है, जो कभी-कभार जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसी ही एक परंपरा मासूम बच्चों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

बता दें कि परंपरा के नाम पर बच्चों की जान से खिलवाड़ कहने और सुनने में कुछ अलग लग रहा होगा। लेकिन बैतूल जिला मुख्यालय के यादव मोहल्ले में यह नज़ारा आम है। जो हर साल दीपावली के दूसरे दिन होने वाली गोवर्धन पूजा में देखी जाती है। जहां पर नवजात शिशु से लेकर 14 से 15 साल तक के किशोरों को केवल इस लिए गोबर के ढेर पर फेंका जाता है, ताकि वे बीमारी से बचे रहें। इन लोगों को मानना है कि ऐसा करने से किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है।

आपको बता दें कि पिछले कई सालों से यह परंपरा बदस्तूर जारी है। लेकिन बच्चों के स्वास्थ को लेकर दावे करने वाला स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास दोनों ही मूक दर्शक बनकर इस परंपरा को देख रहा है। वैसे बता दें कि कई लोग इसे गलत तो मानते हैं, लेकिन परम्परा का हवाला देकर कुछ कहे बिना इसमें शामिल हो जाते हैं।

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Dileep Kumar
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