नई दिल्ली। देश भर में आज सूर्य देव की अराधना के सबसे बड़े पर्व छठ की धूम है। उत्तर प्रदेश और खासकर बिहार में मनाया जाने वाला ये पर्व बेहद अहम पर्व है। जो पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। छठ पर्व केवल एक पर्व नहीं है बल्कि महापर्व है जो कुल चार दिन तक चलता है। नहाय खास से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है।
इस पर्व में सूर्यदेवता और छठ मैय्या की पूजा की जाती है। आज शाम का अर्घ्य है। व्रतियों के लिए इसका विशेष महत्व है। इसमें कमर तक पानी में खड़ा होकर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने या फिर सच्चे मन से छठ माता और सूर्यदेव की पूजा करना व्यक्ति को निरोग रखता है और घर में सुख-शांति लाता है। यही कारण है कि बहुत से लोग इस दिन के लिए मानता मांगते हैं और हर साल या तो खुद पूजा करते हैं या फिर प्रसाद बनाकर व्रतियों को चढ़ाने के लिए देते हैं।
घाट तक जाने के लिए डाला यानी टोकरी उठाने का भी बड़ा महत्व माना जाता है। छठ पूजा के लिए खास डाला तैयार किया जाता है. इसमें पारंपरिक पकवान रखे जाते हैं। इनमें ठेकुआ, भुसुआ, चावल के लड्डू, मौसमी फल, सिंघाड़ा, गन्ना, भीगी हुई चनादाल जैसी चीजें शामिल हैं। शाम के समय डाला में पूजा की सभी चीजें औऱ व्यंजन सजाकर रखे जाते हैं। इसके बाद परिवार और पड़ोसी सब मिलकर घाट जाते हैं और डूबते सूरज को अर्घ्य देते हैं। आज के दिन भी पूजा करने वाला व्यक्ति निर्जला व्रत करता है। अर्घ्य का समय शाम 05:40 बजे से है।