लखनऊ । राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौधरी लौटन राम निषाद ने केंद्र सरकार के नदियों की सफाई के लिए चलाए गए स्वच्छता अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केवल गंगा, गोमती, यमुना आदि नदियों के स्वच्छीकरण अभियान के हो हल्ला से ही नदियों की सफाई संभव नहीं है, जब तक कि इसमें मछुआरों का समुचित सहयोग न लिया जाए।
निषाद ने एक बयान जारी कर कहा कि जब नदियों में मछलियां पर्याप्त मात्रा में पाई जाती थी तो नदियों में जब प्रदूषण काफी कम था। शहरी नालों का दूषित जल, कल-कारखानों, पेपर मिलों, चीनी मिलों, ट्रेनरियों व शराब फैक्ट्री के विषाक्त प्रदूषित जल को संशोधित किए बिना सीधे नदियों में गिराए जाने से जल प्रदूषण होता है और इस कारण मछलियों के जीवन व प्रजनन पर बुरा असर पड़ता है।
निषाद ने कहा कि गंगा नदी पर फरक्का बैराज बन जाने से स्वास्थ्य की ²ष्टि से काफी लाभकारी हिलसा, झींगा आदि मछलियों का गंगा में आना बंद हो गया है। इससे मछुआरों की रोजी रोटी प्रभावित हुई है। उन्होंने केंद्र सरकार से नदियों में प्रदूषित व विषाक्त पानी गिराए जाने पर रोक लगाने के लिए कड़ा कानून बनाने तथा फरक्का बैराज में ‘फिश गेट’ बनाए जाने की मांग की है।