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ग्वालियर-चंबल के दस्यु प्रभावित क्षेत्र की छवि सुधारने की कोशिश

ग्वालियर, 7 नवंबर (आईएएनएस)| देश और दुनिया में ग्वालियर-चंबल अंचल की पहचान दस्यु प्रभावित क्षेत्र के तौर पर रही है। इस छवि से यहां के लोग अब भी आहत हैं और इसे तोड़ने के लिए संस्कृति का सहारा लिया जा रहा है। इसके लिए यहां के लोगों ने एक अभियान भी चलाया है, जिसके तहत हर साल यहां ‘ग्रीनवुड उद्भव उत्सव’ का आयोजन किया जाता है। इस साल यह उत्सव 26 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक आयोजित किया गया था। इस उत्सव में एक साथ हिंदुस्तान के कई इलाकों के अलावा दुनिया के कई देशों की संस्कृति के पैरोकारों को मजमा लगा था।

उद्भव के अध्यक्ष डॉ़ केशव पांडेय बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल की दुनिया में पहचान दस्यु समस्या को उभारकर बनाई गई है, जबकि यह क्षेत्र पुरातात्विक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक धरोहरों से भरा पड़ा है। उनकी कोशिश है कि इस इलाके पर लगे बदनुमा दाग को साफ कर वास्तविक छवि दुनिया के सामने पेश की जाए।

पांडेय के मुताबिक, संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर घराने की विशिष्ट पहचान है। अमजद अली के पुश्तैनी घर को बनाया गया संग्रहालय सरोद घर भव्य और ऐतिहासिक है। इसे प्रचारित करने के बजाए दस्यु समस्याओं पर खूब लेख लिखे गए और फिल्म तक बनी। परिणामस्वरूप यहां की छवि प्रभावित हुई। यहां की विरासत को भी प्रचारित किया जाता तो यहां पर्यटन उद्योग का विकास तो होता ही और लोगों को भी रोजगार मिलता।

ग्वालियर में उद्भव सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा संस्थान तथा ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘ग्रीनवुड उद्भव उत्सव’ में देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक गतिविधियों से लेकर कई देशों के गीतों और नृत्य के रंग देखने को मिले।

शास्त्रीय गायिका सुलेखा राजेश भट्ट का कहना है, संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियां आपस में जोड़ने का काम करती है, जहां भाषा, रहन-सहन लोगों को एक दूसरे से अलग करता है। संगीत लोगों को करीब लाने में सहायक है। एक तरफ मन को शांति देने का काम संगीत के जरिए संभव है तो दोस्ती को मजबूत करने की कड़ी भी संगीत है।

कला समूह के सचिव महाराजा होजाई गंवा सिंह ने बताया, अंचल की प्रतिभाओं को अन्तर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने के लिए यह उत्सव आयोजित किया जाता है। इस आयोजन को 14 वर्ष हो गए हैं। इस आयोजन में श्रीलंका एवं बंगलादेश से आए 250 कलाकारों ने अपनी कला बिखेरी, वहीं मध्य प्रदेश के अलावा कर्नाटक, जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने अपने-अपने क्षेत्र के लोकनृत्य प्रस्तुत किए।

होजाई बताते हैं, इस आयोजन ने जहां देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृति से स्थानीय लोगों को परिचित कराया, वहीं दूसरे प्रदेशों और देशों से आए कलाकारों को भारतीय संस्कृति को देखने और समझने का मौका मिला। इस आयोजन का सबसे बड़ा मकसद संस्कृति के जरिए एक-दूसरे के नजदीक लाना है।

ग्वालियर के माधव महाविद्यालय में हिंदी विभाग के प्राध्यापक रहे प्रकाश दीक्षित कहते हैं, संस्कृति, संगीत और धरोहरों से भरे इस अंचल को दुनिया के पर्यटन नक्शे पर वह स्थान नहीं मिल पाया है, जिसका यह हकदार है। उम्मीद है कि ‘ग्रीनवुड उद्भव उत्सव’ से इस क्षेत्र की वास्तविक तस्वीर दुनिया के सामने लाने के प्रयास को सफलता मिलेगी।

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