नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कर्नाटक में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर, राम जन्मभूमि पर ही बनेगा, मंदिर के अलावा वहां कुछ नहीं बनेगा। अब वह दिन दूर नहीं जब मंदिर की छत पर भगवा झंडा लहरेगा।
वहीँ मोहन भगवत के इस बयान पर मुस्लिम संगठन नाराज हो गए हैं। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर और वकील जफरयाब जिलानी ने भागवत के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को चुनौती करार दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च अथॉरिटी है और वो यह तय करेगी कि मंदिर कहां बनना है और कहां नहीं। देश कानून के हिसाब से चलता है और हम सब फैसले का इंतजार कर रहे हैं। भागवत का बयान संविधान और सुप्रीम कोर्ट को चुनौती है।
उधर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के मुखिया और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसको लेकर संघ और बीजेपी पर निशाना साधा। ओवैसी ने दावा किया है कि संघ और बीजेपी राम मंदिर पर ‘निंदनीय’ बयान देकर गुजरात चुनाव में इसका राजनीतिक फायदा लेना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस आग से खेल रहा है और सुप्रीम कोर्ट इस पर संज्ञान लेगा।
ओवैसी ने आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद पर 5 दिसंबर को सुनवाई से पहले बीजेपी और संघ ‘भय का वातावरण’ बनाना चाहते हैं। उन्होंने आशा जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस घृणित षडयंत्र पर संज्ञान लेगा। उन्होंने कहा, ‘यह बयान (मोहन भागवत) का न देश के लिए अच्छा है और न ही देश के सुप्रीम कोर्ट के लिए।’
AIMIM प्रमुख ने कहा कि आरएसएस प्रमुख एक तरह से सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करना चाहते हैं या दबाव डालना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘आशा करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर संज्ञान लेगा कि किस तरह से सरकार, बीजेपी और आरएसएस पूरे देश में तनाव का माहौल बनाना चाहते हैं। जब पांच दिसंबर को सुनवाई होनी है तो इसे देशभर में राजनीतिक मुद्दा बनाओ ताकि राजनीतिक फायदा लिया जा सके।’