नई दिल्ली। गुरुवार को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके राज्यसभा सांसद कनिमोई समेत 25 आरोपियों को बरी कर दिया है। 2जी घोटाला 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का था। दरअसल कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है।
बता दें कि विशेष अदालत 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी और कई अन्य के भाग्य का फैसला कर सकती है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ. पी. सैनी यूपीए सरकार के समय हुए टू-जी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज अलग अलग मामलों में फैसले सुना सकते हैं।
टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सुनवाई छह साल पहले 2011 में शुरू हुई थी। जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये थे। जिन आरोपों में आरोप तय किये गये हैं उनमें छह महीने से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है।
कोर्ट ने दर्ज किये 154 गवाहों के बयान–
कोर्ट ने CBI की ओर से 154 गवाहों के बयान दर्ज किए थे, जिनमें अनिल अंबानी, उनकी पत्नी टीना अंबानी और नीरा राडिया भी शामिल हैं।ये करीब 4400 पेज के हैं। इन मामलों में छह महीने से लेकर उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है।
सीबीआई के दूसरे मामले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया व अंशुमान रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान व उनके पति आईपी खेतान और एस्सार ग्रुप के निदेशक विकास श्राफ शामिल हैं। चार्जशीट में लूप टेलीकॉम लिमिटेड, लूप इंडिया मोबाइल लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग लिमिटेड कंपनियां भी आरोपी हैं।
ये है पूरा मामला-
दरअसल, 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर 2010 में आई एक सीएजी रिपोर्ट ने कई सवाल उठाये थे। जिसमें ये साफतौर से स्पष्ट किया गया था कि, उस वक्त स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर इसे बांटा गया था।
इससे सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।
साथ ही में इसमें इस बात का भी जिक्र था कि अगर ये लाइसेंस नीलामी के आधार पर बांटे जाते तो यह रकम सरकारी खजाने में जाती। इसके बाद दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में विशेष अदालत बनाने पर विचार करने को कहा था।
साल 2011 में पहली बार स्पेक्ट्रम घोटाला जब पूर्ण रूप से सामने आया तो ने इसमें 17 आरोपियों को शुरुआती दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई थी।