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53 वर्षीय विधवा मां के लिए बेटी ने ढूंढा दूल्हा, वजह जानकर आप भी देंगे शाबाशी

जयपुर। राजस्थान के जयपुर में एक युवती ने मिसाल पेश करते हुए अपनी 53 वर्षीय विधवा मां की दोबारा शादी कराई। महिला के पति की साल 2016 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। बेटी भी नौकरी के चलते गुड़गांव आ गई, जिसके बाद वह बिलकुल अकेली रह गईं थीं। हालांकि उनकी बेटी अक्सर उनसे मिलने घर जाया करती थी लेकिन उम्र के हर दौर में इंसान को साथी की जरुरत तो महसूस होती ही है। यही जरुरत युवती की मां को भी महसूस हो रही थी, जिसके बाद युवती ने अपनी मां की दोबारा शादी कराने का फैसला किया।

महिला की बेटी संहिता ने बताया कि पापा की मौत के बाद उसकी मम्मी डिप्रेशन में चली गईं थीं। मेरे गुड़गांव जाने से उनकी हालत और खराब होती जा रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में संहिता के मन में अपनी मां की शादी कराने का ख्याल आया। ऐसे में मैंने पिछले साल अगस्‍त में अपनी मां के लिए पार्टनर ढूंढ़ने का फैसला किया था। मैंने मां की इजाजत के बिना ही मैट्रीमोनियल साइट पर उनका प्रोफाइल बनाया और अपना मोबाइल नंबर डाल दिया। मैंने उन्‍हें सितंबर में इसकी जानकारी दी थी।’

युवती की मां गीता इसको लेकर आशंकित थीं। उनके परिवारवाले भी पुनर्विवाह के खिलाफ थे। गीता ने कहा, “संहिता की इस आइडिया पर मैं पागल सी हो गई थी। हमारे रूढ़ीवादी परिवार में विधवा के विवाह को अपमानजनक माना जाता है।” संहिता बताती हैं परिवार के एक भी सदस्‍य ने इसका समर्थन नहीं किया था, लेकिन वह इसको लेकर पूरी तरह आश्‍वस्‍त थीं।

बकौल संहिता, अक्‍टूबर, 2017 में 55 वर्षीय कृष्‍ण गोपाल गुप्‍ता का उनके पास फोन आया था। वह बांसवारा में रिवेन्‍यू इंस्‍पेक्‍टर हैं। उनकी पत्‍नी का कैंसर के कारण वर्ष 2010 में निधन हो गया था। उनके दो बेटे हैं। उन्‍होंने बताया कि पत्‍नी के निधन के बाद वह खुद को बैडमिंटन खेलने में झोंक दिया था, लेकिन बढ़ती उम्र के कारण फिटनेस की समस्‍या सामने आने लगी थी। दोस्‍तों ने दूसरी शादी करने की सलाह दी और मैट्रीमाेनियल साइट पर अकाउंट भी बना दिया था। नवंबर में गीता को सर्जरी करानी पड़ी थी। उस वक्‍त केजी. गुप्‍ता जयपुर में लगातार तीन दिनों तक उनके साथ रहे थे। दोनों के बीच आपसी समझ विकसित होने का ही नतीजा था कि गीता और केजी. गुप्‍ता दिसंबर में शादी के बंधन में बंध गए। संहिता ने कहा कि वह अपनी मां के चेहरे पर दोबारा मुस्कान देखकर खुश हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH