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यूपी के इस गांव में नहीं जलाई जाती ‘होलिका’, जानें क्या है राज

सहारनपुर। जहां देश में तारो तरफ होली के ही चर्चे हैं, और प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ मथुरा और वृंदावन में होलियारों संग होली खेलने को लेकर चर्चाओं में हैं, वहीं दूसरी तरफ होली न मनाने को लेकर एक चौकाने वाली खबर है। दरअसल, सहारनपुर का एक गाँव ऐसा भी है, जहां पर न तो होली पूजन किया जाता है और न ही होलिका दहन। इतना ही नहीं इस गांव के आसपास भी होलिका दहन नहीं किया जाता है। इस गांव के लोगों का ऐसा मानना है कि होलिका दहन करने से उनके ईष्ट देव भगवान शंकर के पैर जलते हैं, इसलिए यहां पर होलिका दहन और पूजन नहीं किया जाता है।
यूपी के सहारनपुर जनपद के कस्बा तीतरो के पास स्थित ‘गांव बरसी’ में भगवान शंकर का प्राचीन मंदिर है। लोगों द्वारा यह बताया जाता है कि यह मंदिर महाभारतकाल से है, जिसे दुर्योधन ने बनवाया था, लेकिन भीम ने अपनी गदा से मंदिर के प्रवेश द्वार को उत्तर से पश्चिम दिशा की ओर कर दिया था। महाशिवरात्रि पर यहां पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु आकर गुड और कद्दू चढ़ाते हैं।
होली पर्व पर जहां पूरे देश में सभी स्थानों पर होलिका पूजन और दहन किया जाता है, वहीं इस गांव में होलिका दहन नहीं होता है। इतना हीं नही गांव बरसी के साथ क्षेत्र के गांव ठोल्ला, बहलोलपुर के ग्रामीणों ने भी प्राचीन काल से होलिका दहन करना छोड़ रखा है। इन तीनों गांवों में होली पर्व नहीं मनाया जाता है। इसकी वजह गांव से जुड़े ऐतिहासिक शिव मंदिर से ग्रामीणों की आस्था मानी जाती है। यहां पर होलिका पूजन और दहन नहीं करते हैं। ग्रामीणों की मान्यता है कि जब होलिका दहन होता है तो जमीन गरम होती है, जिस कारण गांव शिव मंदिर में विराजमान भगवान शंकर को जमीन पर पैर रखना पड़ेगा और गर्म जमीन के कारण उनके पैर झुलस जाएंगे, जिससे भगवान शंकर को कष्ट होगा।
गांव ठोल्ला फतेहचंदपुर के बुजुर्गों ने बताया कि गांव में जिद के कारण एक बार होलिका पूजन और दहन किया गया था, जिस कारण गांव के खेतों में खड़ी फसल जलकर नष्ट हो गई थी और ग्रामीणों को दाने—दाने को मोहताज होना पड़ा था। ग्रामीणों ने इसे शिव का क्रोध माना था और इसके बाद होली नहीं मनायी गई। वहीं एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि आधा टिकरौल गांव में भी होलिका दहन नहीं किया जाता है।
गांव बरसी के व्यक्ति ने बताया कि गांव की यदि शादीशुदा बेटी होली पर गांव में आती है और उसे होली पूजन करना होताा है तो वह पड़ोस के गांव में जाकर होलिका पूजन करती है। गांव के लोग मानते हैं कि गांव बरसी में कण कण में भगवान शंकर का वास है। गांव बरसी में होलिका दहन न किया जाना यह दर्शाता है कि इस गांव के लोगों का भगवान शंकर के प्रति कितनी आस्था, श्रद्धा और विश्वास है, जिस कारण वह अपने शिव को जरा भी कष्ट नहीं देना चाहते हैं और यही वजह है कि इस गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता है।
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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar