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खबर पढ़ कांप जाएगी रूह, …पॉलिथिन में आंत लिए घूम रहा जवान

मुरैना। यह खबर ऐसी है कि सुनकर आपकी अंतरात्मा कांप जाएगी, जरा भी संवेदना रखने वाले किसी भी शख्स की आंखों को नम कर देगी। जिस जवान ने नक्सलियों की सात गोलियां झेल लीं, वह आज अपने ही देश में बेगाना बन गया है। हालात इतने बदतर हैं कि जवान को पॉलिथिन में आंत लपेटकर भटकना पड़ रहा है।

देश की लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाले आठ साल तक पीएम के एसपीजी कमांडो रह चुके एक जख्मी जवान ने दिल को झकझोर देने वाला खुलासा किया है। 2014 में छत्तीसगढ़ के सुकमा नक्सली मुठभेड़ में घायल मध्यप्रदेश के तरसमा गांव निवासी सीआरपीएफ जवान मनोज सिंह तोमर चार साल से अपनी आंत पॉलिथिन में रखकर इलाज की आस लगाए भटक रहे हैं।

इस जवान को सात गोलियां लगी थीं। हमले में 11 जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। जाबांज मनोज ने मौत को तो मात दे दी लेकिन अब इलाज के लिए वह दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

हमले में उनकी आंते बाहर आ गई और इनकी एक आंख खराब हो गई। गंभीर रूप से घायल जवान का ऑपरेशन करना उस वक्त संभव नहीं था जिसके बाद उसकी आंत का कुछ हिस्सा पेट के बाहर ही रह गया था। जिसके बाद वो बाहर ही रही।

जवान का कहना है कि वह अपने इलाज के लिए प्रदेश सरकार से लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिल चुके हैं। उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा भी दिया, लेकिन इस बात को दो साल से अधिक हो गया लेकिन अब तक कोई जबाब नहीं आया। ऐसे में मनोज पेट से बाहर निकली आंत पॉलीथिन में लपेटकर जीवन बिताने को मजबूर हैं।

16 साल तक सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले मनोज सिंह तोमर अब बहुत दुखी हैं क्योकि नक्सली हमले में घायल होने के बाद सरकार उनकी पूरी चिंता नहीं कर रही। तोमर का कहना है कि सरकार के ऐसे बर्ताव से ये महसूस होता है कि सरकार ज़्यादती कर रही है।

मनोज का कहना है कि उन्हें सरकार और उसके नियमों से शिकायत है। नियमों के मुताबिक तोमर छत्तीसगढ़ में घायल हुए थे, इसलिए उनका इलाज सीआरपीएफ के अनुबंधित रायपुर के नारायणा अस्पताल में ही हो सकता है। एम्स में उनका इलाज कराने का प्रबंध केवल सरकार ही करवा सकती है। वहीं उनकी आंख का इलाज चेन्नई के अस्पताल में ही हो सकता है, इसका इंतजाम भी केवल सरकार ही करवा सकती है।

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Dileep Kumar
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