नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कल शाम पांच बजकर पांच मिनट पर आखिरी साँसे ली। उनकी तबीयत कई दिनों से नाजुक चल रही थी। उनकी मौत के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी मृत्यु के बाद पूरा देश शोक मना रहा है।
सरकार ने इस क्षति को राष्ट्रीय क्षति बताया है और सात दिन का राष्ट्रीय शोक रखा है। आज देश के सारे सरकारी और गैर सरकारी संस्थान बंद है। आखिर क्यों ये शख्सियत इतना ख़ास है आइए आपको एक किस्से से समझाते हैं।
साल 1973, 45 साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष के सबसे बेहतरीन वक्ता के रूप में जाने जाते थे। नेहरु के दौर से ही उनकी ये छवि बनी थी।
लेकिन ये दौर था उस समय की आयरन लेडी इंदिरा गाँधी का। दरअसल कुछ यूँ हुआ की उस समय पेट्रोल, डीज़ल के दाम आशमान छू रहे थे।आम जनता बहुत परेशान थी।
बैलगाड़ी से पहुंचे संसद
अटल जी ने इसका विरोध बड़े ही नाटकीय ढंग से किया वो पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन में बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे और अपना विरोध दर्ज किया था।
तेल संकट के दौरान तेल बेचने वाले मध्य-पूर्व देशों ने भारत को कच्चा तेल भेजना कम कर दिया था, इस वजह से इंदिरा गांधी की सरकार ने तेल की कीमतों में 80 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी कर दी थी।
इस वजह से वह अटल समेत दूसरे नेताओं के निशाने पर आ गई थीं। बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता थे।