सोनभद्र/लखनऊ। भले ही पिछली सरकारों ने उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय की उपेक्षा की हो, लेकिन आज पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर हर जनजातीय समुदाय को उनका अधिकार देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से मिशन मोड में काम कर रही है। अब तक यहां 23 हजार 335 परिवारों को वनाधिकार का पट्टा उपलब्ध कराया गया है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि जो भी इस पात्रता की श्रेणी में आएंगे, एक समयसीमा के अंदर उन्हें पट्टा उपलब्ध कराने का कार्य करेंगे। जिन जनपदों में जनजातीय समुदाय अत्य़धिक संख्या में है, उनके उत्थान और आर्थिक स्वावलंबन के लिए सरकार पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बातें सोनभद्र में बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर कही। इस मौके पर उन्होंने वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत पट्टा वितरण एवं 575 करोड़ रुपए की 233 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी किया। साथ ही 12 जनजातियों पर आधारित कॉफी टेबल बुक का अनावरण किया। इससे पहले उन्होंने कुछ बच्चों का अन्नप्राशन कराया और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी को देखा।
जनजातीय समुदाय वनों का रक्षक भी है, संरक्षक भी
अपने संबोधन की शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी ने बिरसा मुंडा को नमन करते हुए कहा कि हम आभारी हैं पीएम मोदी के जिन्होंने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप हमें अपने अतीत से जुड़कर इसे उत्सव के रूप में मनाने का अवसर दिया। जनजातीय समुदाय भारत का वो महत्वपूर्ण समुदाय है, जिसने धरती माता के साथ संबंध जोड़कर इस वैदिक उद्घोष को चरितार्थ किया है कि माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः यानी ये धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। धरती माता को कोई नुकसान नहीं होने देना है। हमारा जनजातीय समुदाय वनों का रक्षक भी है और संरक्षक भी।
जनजातीय समुदाय को मिल रहा उनका अधिकार
सीएम योगी ने कहा कि आजादी के कालखंड के दौरान जब देश गुलाम था, उस दौरान भारत के जनजातीय समुदाय पर अनगिनत अत्याचार हुए। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया, प्रताड़ित किया गया। कहीं महारानी दुर्गावती को बलिदान देना पड़ा तो कहीं भगवान बिरसा मुंडा को बलिदान देना पड़ा। उत्तर प्रदेश में 2017 में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में हमने बिना भेदभाव के शासन की योजना समाज के प्रत्येक तबके तक पहुंचाने का कार्य किया। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि वनटांगिया गांव राजस्व गांव के रूप में मान्यता देकर आजादी के बाद पहली बार यहां पंचायत चुनाव कराए गए। जब हमने पहल की तब जाकर अब हर वनटांगिया परिवार के पास अपना पक्का मकान है। आज वहां बिजली है, पीने के योग्य पेयजल भी है। राशन की सुविधा हो, पेंशन की सुविधा हो, उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, स्कूल, इन सभी का निर्माण वहां संपन्न हो चुका है। जिनका अधिकार है, वो उनको मिलना ही चाहिए।
महारानी दुर्गावती के नाम पर बन रहा बांदा का मेडिकल कॉलेज
उन्होंने कहा कि सोनभद्र में 13 जनजातियां निवास करती हैं। सोनभद्र को यह गौरव हासिल है कि मानव जाति के उद्गम के साथ प्रकृति की चुनौतियों से लड़कर भी खुद के अस्तित्व को बनाए रखा है। मुझे बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि महारानी दुर्गावती जी के नाम पर बांदा के मेडिकल कॉलेज का नामांकरण भी हमारी सरकार ने किया है। सोनभद्र में मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। हर घर नल की योजना भी साकार हो रही है। सरकार ने तय किया है कि चाहे वो थारू हो, चेरू हो, कोल हो, मुसहर हो, भुईयां हो, अहरिया हो या कोई भी जाति या जनजातियां हों, सभी को वनाधिकार का पट्टा भी देंगे और आवास भी।
मिशन मोड में हो रहा है काम
मुख्यमंत्री ने सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आज आपके यहां बिजली पहुंचाई जा रही है। जहां बिजली पहुंचाने में दिक्कत थी, वहां सोलर पैनल पहुंचाए जा रहे हैं। अच्छी कनेक्टिविटी दी जा रही है। मिशन मोड में जिला प्रशासन और वन विभाग मिलकर प्रयास कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि अच्छे शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं। एकलव्य विद्यालयों का निर्माण हो रहा है, आश्रम पद्यति के विद्यालय का निर्माण हो रहा है, अभ्युदय कोचिंग के माध्यम से अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य श्रेणी के बच्चों के लिए फिजिकली और वर्चुअली मुफ्त कोचिंग उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बच्चों के लिए बड़े पैमाने पर छात्रावास का निर्माण करके उनकी आवासीय व्यवस्था नगरीय क्षेत्रों में सुनिश्चित की जा रही है।
जनजातीय समुदाय को इको टूरिज्म से जोड़ें
स्वयं सेवी संगठन सेवा समर्पण संस्थान को धन्यवाद देते हुए सीएम योगी ने कहा कि इस संगठन ने आजादी के बाद अपने जनजातीय बंधुओं को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ते हुए उनके अधिकारों के लिए ईमानदारी से काम किया। मैं अपील करूंगा कि यहां पर ऐसे संस्थान खोलें, जो वन औषधियों पर काम करें। यहां पर तमाम प्रकार के इको टूरिज्म को भी डेवलप कर सकते हैं। जनजातीय समुदाय के लोगों को इससे जोड़ सकते हैं। उन्हें गाइड के रूप में प्रशिक्षित करें। जनजातीय समुदाय से जुड़े पुराने वैद्यों को हमें समाज के सामने प्रस्तुत करना चाहिए, उनके माध्यम से एक-एक जड़ी बूटी को चिन्हित करते हुए आयुर्वेद के विशेषज्ञों के साथ उन्हें जोड़ना और फिर उन जड़ी बूटियों के संग्रहालय के साथ-साथ उसके उत्पादन पर जोर देने के इस कार्यक्रम को हमें आगे बढ़ाना होगा। राज्य सरकार इन सभी कार्यक्रमों के लिए भरपूर सहयोग करेगी।
कौन थे बिरसा मुंडा?
बिरसा मुंडा 19वीं सदी के एक प्रमुख आदिवासी जननायक थे। उनके नेतृत्व में मुंडा आदिवासियों ने 19वीं सदी के आखिरी वर्षों में मुंडाओं के महान आंदोलन को अंजाम दिया। 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची के उलीहातू गांव में जन्में बिरसा मुंडा का मन बचपन से ही अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्वारा की गई बुरी दशा पर सोचता रहता था। 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान माफी के लिए आंदोलन किया। बिरसा 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार किए गए। उन्होंने अपनी अंतिम सांस 9 जून 1900 को रांची कारागार में ली। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है।