लखनऊ, । खेलों के माध्यम से बच्चों में सीखने की संस्कृति को विकसित करने के लिए योगी सरकार ने अनूठी पहल की है। ‘शिक्षा सप्ताह’ के माध्यम से प्रदेश भर के परिषदीय स्कूलों के बच्चों के भविष्य को निखारने की कोशिश की जा रही है। 22 से 28 जुलाई तक चलने वाले शिक्षा सप्ताह के पहले दिन बच्चों को जहां लूडो का एक अलग संस्करण तैयार करने का सबक मिला तो वहीं, उन्हें स्थानीय सामग्रियों से खिलौने बनाने के गुर भी सिखाये गये। कपड़ों और कचरे की सामग्रियों से कठपुतलियां तैयार करने का हुनर भी उन्हें सिखाया गया। बता दें कि 28 जुलाई तक चलने वाले इस ‘शिक्षा सप्ताह’ कार्यक्रम से प्राथमिक, उच्च प्राथमिक एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है। प्रत्येक दिन, एक विशिष्ट विषय की गतिविधि को शामिल कर बच्चों की तार्किक क्षमता में विकास करना इसका प्रमुख उद्देश्य है।
विभाग ने की तैयारी
विभाग ने कार्यक्रम को सफल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। विभागीय अधिकारियों को कुछ हिदायतें भी दी गयीं हैं। बच्चों के चतुर्दिक विकास के लिए कार्यक्रम को मनोयोग से पूरा करने के भी निर्देश हैं। ज्ञातव्य हो कि सप्ताह भर होने वाले कार्यक्रमों की सूची और सम्बन्धित लिंक को विभाग ने पहले ही जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को साझा कर दिया है। महानिदेशक, स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश के निर्देश के मुताबिक ही सोमवार यानी 22 जुलाई को टीएलएम (TLM) दिवस के रूप में मनाया गया। स्कूलों में मेले-प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया। बता दें कि टीएलएम दिवस के आयोजन के दौरान कक्षावार गतिविधियों पर जोर दिया गया।
ये रहीं गतिविधियां
▪️कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों ने पहेली कार्ड बनाना, लूडो का एक अलग संस्करण बनाना और स्थानीय सामग्रियों से खिलौने बनाने के गुर सीखे।
▪️कपड़ों और कचरे की सामग्रियों से कठपुतलियां तैयार करना, कहानी कार्ड्स में 5 से 6 आत्म-व्याख्यात्मक कहानी कार्ड बनाना भी इन्हें सिखाया गया।
▪️बच्चों से खाना और सब्जियाँ, स्थानीय बाजार, मेरा परिवार आदि विषयों पर चार्ट भी बनवाया गया और उनकी बारीकियां समझाई गयीं। बच्चों ने रीडिंग क्लब के बारे में भी समझा।
▪️कक्षा 3-5 के बच्चों ने खाना और सब्जियाँ, स्थानीय बाजार, मेरा परिवार आदि से जुड़े चार्ट बनाना सीखा।
▪️ विभिन्न प्रकार के रंगीन कागज चिपकाकर घनाकार या आयताकार डिब्बे बनाना भी सिखाया गया।
▪️फलों, सब्जियों, जानवरों आदि से चार्ट तैयार करने के तरीके सीखे।
▪️जानवरों, पक्षियों आदि के मुखौटे बनाना भी बच्चों ने सीखा।
▪️रीडिंग क्लब और कहानी सुनाने के सत्र भी आयोजित हुए
▪️कक्षा 2 के बच्चे माता-पिता और शिक्षकों की मदद से छोटे नाटकों के मंचन के तरीके से वाकिफ हुए।
▪️अंगूठे और हाथ की पेंटिंग के तरीके सीखे।
▪️लोक-कथाएँ सुनने और सीखने का सबक मिला।
▪️कहानी सुनाने वाले क्लब में स्थानीय कहानियाँ सुनाने के लिए माता-पिता को आमंत्रित करने की प्रेरणा मिली।