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“अगर मैं संसद की खुदाई करूं और कुछ मिल जाए, तो क्या वह मेरी हो जाएगी” – सांसद असदुद्दीन ओवैसी

नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कुछ धार्मिक संरचनाओं का सर्वेक्षण करने या उन्हें ध्वस्त करने के आह्वान पर चिंता जताई. भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित बहस के दौरान बोलते हुए ओवैसी ने पूछा, “मुझसे पूछा जा रहा है कि क्या 500 साल पहले कोई मस्जिद थी. अगर मैं संसद की खुदाई करूं और कुछ मिल जाए, तो क्या वह मेरी हो जाएगी?

अनुच्छेद 25 और उसके प्रावधानों का उल्लेख

ओवैसी ने अनुच्छेद 25 और उसके प्रावधानों का जिक्र करते हुए संसद की खुदाई वाली बात कही।ओवैसी ने कहा, ‘मुझसे पूछा जा रहा है कि 500 साल तुम्हारी मस्जिद थी या नहीं थी? ख्वाजा अजमेर के दरगाह के बारे में भी कहा जा रहा है कि नहीं है.. अगर मैं इस पार्लियामेंट में खोद दूं और कुछ मिल जाए तो क्या यह मेरी हो जाएगी?’ बता दें कि दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दाखिल याचिका पर कहा था कि इन याचिकाओं पर सुनवाई समाप्त होने तक किसी भी धार्मिक स्थल का सर्वेक्षण नहीं किया जाएगा।

वक्फ की संपत्तियों को छीनने का आरोप

ओवैसी ने केंद्र सराकार पर वक्फ की संपत्तियों को छीनने का भी आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि वक्फ का ताल्लुक संविधान से नहीं है। आर्टिकल 26 पढ़ लीजिए। आप अपनी ताकत की बुनियाद पर इसे छीनना चाहते हैं।

उर्दू भाषा को खत्म कर रही बीजेपी

ओवैसी ने कहा कि बीजेपी देश में उर्दू भाषा को खत्म कर हिंदुत्व की संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा जिस भाषा में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था उसे खत्म कर दिया गया है।

भारतीय संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में बहस

भारतीय संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने पर एक बहस में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था, “भारत न केवल अल्पसंख्यकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उनके हितों की रक्षा के लिए सकारात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान करता है.” संसदीय कार्य मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारों ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए लगातार कई काम किया है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने भी ऐसा किया है, मैं उसकी भूमिका को कम नहीं आंक रहा हूं.”

 

 

 

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH