बीजिंग। भारत के जीडीपी विकास दर में आई कमी पर चीनी मीडिया ने तंज कसा है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत का विकास दर 6.1 फीसदी तक घटना नोटबंदी जैसे सुधार उपायों का नतीजा है, जो कि ‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी’ मारने जैसा था।
खबरों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट से चीन एक बार फिर दुनिया का सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बन गया है।
हाल ही में केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर आये आर्थिक विकास के आंकड़े आर्थिक स्थिति के लिए अच्छे नहीं रहे हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही।
वहीं, जनवरी से मार्च क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 6.1 फीसदी थी। यह वही तिमाही है जिससे कुछ दिन पहले नवम्बर में नोटबंदी का फैसला हुआ था। उद्योग जगत का भी कहना है कि आंकड़ों में यह गिरावट नोटबंदी का नतीजा है। इसी मुद्दे पर चीन ने कटाक्ष किया है।
चीन के सरकारी अखबार ने अपने एक संपादकीय में कहा कि ड्रैगन बनाम हाथी की रेस में हाथी पिछड़ गया है। कहा गया है, ‘भारत सरकार को निजी क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाने के लिए और ज्यादा प्रभावी नीतियां बनाने की जरूरत है और आशा है कि भारत भविष्य में अपने सुधार कोशिशों में इस तरह ‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने’ वाले कदमों से बचेगा।’
अखबार लिखता है कि भारत को खुशहाली की तरफ ले जाने के लिए सामाजिक-आर्थिक सुधारों के सख्त कदम भले ही बेहद जरूरी हैं, लेकिन इस तरह के शॉक ट्रीटमेंट से बचा जाना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर भारतीय नकदी पर ही निर्भर रहते हैं।