नई दिल्ली। 15 अगस्त 1947 ये दिन आजाद भारत के लिए सबसे बड़ा दिन है ये कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि इसी दिन ब्रिटिश उपनिवेशवाद से भारत को आज़ादी मिली इसी के साथ दुनिया के नक्शे पर दो नए देश सामने आए – भारत और पाकिस्तान। दोनों इस साल 75 वीं सालगिरह मना रहे हैं। सवाल ये है कि एक ही दिन आज़ाद होने के बावजूद दोनों मुल्क अलग-अलग दिन स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते है।
आज़ादी का ज़िम्मा भारत के आख़िरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपा था
इतिहासकारों के मुताबिक़, ब्रिटेन ने भारत के बंटवारे और उसकी आज़ादी का ज़िम्मा भारत के आख़िरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपा था। इन दोनों देशों को सत्ता सौंपने का काम भी लॉर्ड माउंटबेटन को ही करना था जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के इकलौते प्रतिनिधि थे।
माउंटबेटन एक ही समय नई दिल्ली और कराची (उस वक़्त पाकिस्तान की राजधानी) में मौजूद हों, ऐसा संभव नहीं था और न ही यह संभव था कि वह पहले भारत को सत्ता हस्तांतरण कराएं और फिर पाकिस्तान जाएं। क्योंकि क़ानूनन भारत को सत्ता हस्तातंरित कराने के बाद वो गर्वनर जनरल बनते, और ऐसे में वह दूसरे देश का सत्ता हस्तांतरण नहीं करा सकते थे।
इसलिए इसका एकमात्र यही रास्ता था कि पहले वायसराय पाकिस्तान को सत्ता सौंपें यानी 14 अगस्त को ऐसा कर दें फिर भारत के लिए यह काम अगले दिन यानी 15 अगस्त को हो। इंडियन इंडिपेडेंस एक्ट के तहत भारत और पाकिस्तान दोनों को ही आज़ादी मिलने का दिन 15 अगस्त ही था लेकिन पाकिस्तान 14 अगस्त को ही अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।