नई दिल्ली। हिंदू धर्म में जितने भी रीति-रिवाज़ बनाए गए हैं उन सबके पीछे धार्मिक वजह तो है हीं साथ ही साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी वे काफी महत्वपूर्ण और इंसान के लिए लाभदायक है। हिंदू धर्म में कई रीति-रिवाज ऐसे हैं दशकों से निरंतर ठीक उसी तरह चले आ रहे हैं। अंतिम संस्कार के दौरान भी कई तरह की रस्मों की अदायगी की जाती है जैसे सिर मुंडवाना, मृत शरीर के चारों तरफ चक्कर लगाना और जलती चिता में से लाश की सिर को डंडे से फोड़ना।
जी हां, हम में से कई लोग तो इस रस्म या विधि के बारे में तो जानते ही नहीं होंगे। इस रस्म के पीछे भी एक तर्क है जिसके बारे में हम आज जानेंगे कि क्यों हिंदू धर्म में जलती चिता में से खोपड़ी या सिर को डंडा से तोड़ा जाता है।
ये तो हम सभी भली-भांति जानते हैं कि हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है जिसमें व्यक्ति के शव को मुखाग्नि देकर जला दिया जाता है। और शव को जलाते वक्त मृतक व्यक्ति के सर पर डंडा मारा जाता है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर शव के सर पर डंडा क्यों मारा जाता है ? इतना तो आप समझते होंगे कि निश्चित रूप से इसके पीछे कोई ना कोई अहम बात होगी। तभी तो सदियों से ये प्रथा यूं ही निरंतर चला आ रहा है।
दरअसल कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के सर पर डंडा इसलिए मारा जाता है ताकि अगर मृतक व्यक्ति के पास किसी तरह का कोई तंत्र विद्या होगा तो कोई दूसरा तांत्रिक इस विद्या को चुरा ना ले और उसकी आत्मा को अपने वश में ना कर ले। क्योंकि संभव है कि कोई तांत्रिक उस आत्मा को अपने वश में कर लेने के बाद उससे किसी भी तरह के बुरे कार्यों को अंजाम दे सकता है।